पूनियां ने कहा कि थानाधिकारी की आत्महत्या एक गम्भीर घटना है और यह हमारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है। सरकार को इसकी जांच करवाकर तथ्यों का पता लगाना चाहिए कि ऐसे क्या कारण रहे की एक थानाधिकारी को आत्महत्या करनी पड़ी। पुलिस में काम करने के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों में काम के दबाव एवं मानसिक तनाव को कम करने के लिए भी सरकार को सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। इस तरह की घटनाएं पुलिस का मनोबल गिराने का काम करती है। इनकी पुनरावृति ना हो इसके लिए सरकार सकारात्मक प्रयास करें।
उपनेता प्रतिपक्ष और चूरू विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने सरकार से इस मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच करवाने मांग रखते हुए पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र यादव व अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप से फोन पर बात की है। राठौड़ ने कहा कि विष्णुदत्त का स्थानांतरण किए जाने पर राजनीतिक दबाव पिछले दो माह से पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ था। अपराधियों से गठजोड़ व कमजोर प्रशानसिक क्षमता वाले अधिकारियों के कारण दो दिन पूर्व ही विष्णुदत्त के मातहत काम करने वाले चार कांस्टेबल को लाइन हाजिर करने व विगत एक माह में 7 कांस्टेबल व हैड कांस्टेबल को अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने पर अकारण हटाने से विष्णुदत्त काफी व्यतीत थे। उनकी ओर से शुक्रवार को किए गए वाट्सएप चैट के प्रमाणित दस्तावेज भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं। राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार तुरंत विष्णुदत्त की आत्महत्या के कारक बने राजनीतिज्ञ, पुलिस अधिकारी का चेहरा बेनकाब करने के लिए न्यायिक जांच करवाएं व विष्णुदत्त के परिजनों को एक करोड़ मुआवजा व आश्रितों को नियुक्ति दें।