बैठक के बाद पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने हमें खुद जीतने का अवसर दिया है, जिसे भुनाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। किसी भी किसी भी सरकार के खिलाफ कार्यकाल के अंतिम सालों में जाकर एंटी इनकंबेंसी होती है, लेकिन अशोक गहलोत की सरकार पहली है, जिसके खिलाफ एक साल बाद से ही यह स्थिति पैदा हो गई है। पूनियां का मानना है कि चुनाव और युद्ध दोनों में जीत पहली शर्त होती है। ऐसे में जीत के लिए उम्मीदवार भी जीताऊ ही तलाशा जाएगा। इसके लिए स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जनता की पसंद को भी ध्यान में रखा जाएगा। पार्टी इसके लिए सर्वे भी करवा रही है। बैठक तीनों सीटों के उप चुनाव के हिसाब से प्रारंभिक बैठक मानी जा रही है। दो दिन पहले दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हुई बैठक में पार्टी को इन तीनों सीटों पर जीत के लिए पूरी ताकत से उतरने के निर्देश दिए गए हैं। यही वजह है कि अभी तक चुनाव की तारीखें घोषित नहीं हुई है, लेकिन भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी है। बैठक में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, सांसद सीपी जोशी सहित चुनाव क्षेत्र के जिला प्रभारी, जिला अध्यक्ष, संभाग प्रभारी और विधानसभा प्रभारी मौजूद रहे।
हमारी पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं पूनिया ने पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी से इनकार किया और कहा कि विग्रह कांग्रेस में है और भाजपा इसका फायदा इन चुनाव में जरूर उठाएगी। प्रदेश में पिछले दो साल में हुए हालातों और कांग्रेस सकार के कुप्रबंधन तथा किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे को वो जनता के बीच लेकर जाएगी। पंचायत चुनावों में मिली जीत से पार्टी को संजीवनी मिली है। आने वाले निकाय चुनावों को लेकर भी बैठक में चर्चा की गई कि किस तरह कांग्रेस को पटखनी दी जाए ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े और जनता में मैसेज जाए।
मुंह की खानी पड़ेगी पूनियां ने साफ किया कि उपचुनाव में कांग्रेस किसान आंदोलन का मुद्दा उठाएगी तो मुंह की खाएगी। कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है, वह महज दिखावा और ढोंग करती है। आएलपी के चुनाव लडऩे के मुद्दे पर पूनियां ने कहा कि देश में 700 राजनीतिक दल हैं। भाजपा संगठनात्मक तौर पर मजबूत है और हम जीतने के लिए उतरेंगे, बाकी सब चुनाव लडऩे के लिए स्वतंत्र है।
इन तीन सीटों पर होना उप चुनाव कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद सुजानगढ़, कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन से सहाड़ा और भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन से खाली हुई राजसमंद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं।