विभिन्न राज्यों में प्रचलित नीति एवं प्रक्रियाओं के कारण राज्यों के बीच केवल इन आकड़ों के आधार पर तुलना करने से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री ने लिखा कि अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है और कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती कर लेते हैं। एनसीआरबी ने माना है कि आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जनकेन्द्रित योजनाओं व नीतियों के फलस्वरूप हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने लिखा कि राजस्थान में अपराध के आंकड़ों को लेकर सोशल मीडिया में भाजपा द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है। एक अखबार ने भी यही आंकड़े तथ्यों की जांच किए बिना छाप दिए जिनके कारण आमजन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है जबकि सच्चाई पूर्णत: भिन्न है।
मुख्यमंत्री ने लिखा कि कांग्रेस सरकार का गठन होते ही प्रदेश में 2019 में अपराध के निर्बाध पंजीकरण नीति लागू की। इससे थाने में शिकायत दर्ज करवाने वाले हर व्यक्ति की एफआईआर दर्ज की जानी शुरू हुई,जिससे हर घटना एक तार्किक निष्कर्ष तक पहुंच सके। पहले आमजन को एफआईआर करवाने तक में परेशानी होती थी।
कई बार तो पीड़ित की एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी। निर्बाध पंजीकरण की यह नीति लागू करते समय भी हमने स्पष्ट कहा था कि इससे अपराध के आंकड़े बढ़ेगे लेकिन न्याय सुनिश्चित होगा जिससे आमजन को राहत मिलेगी।
महिला अत्याचार के सर्वाधिक मामले यूपी में
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के दावों के मुताबिक प्रदेश 2019 में महिला अत्याचार के मामलों में 41550 प्रकरणों के साथ प्रथम स्थान पर था। लेकिन एनसीआरबी के मुताबिक महिला अत्याचार के सर्वाधिक 59853 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए। राजस्थान में निर्बाध पंजीकरण की नीति के बावजूद मामले उत्तर प्रदेश से कम हैं। भाजपा का दावा है कि 2020 में 2019 की तुलना में महिला अत्याचार 50 फीसदी बढ़े जबकि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वास्तव में वर्ष 2020 में महिला अत्याचार 16 फीसदी कम हुए। वर्ष 2020 में बलात्कार में भी 11 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2019 की तुलना में महिला अत्याचारों में जून 2021 तक 9फीसदी की कमी है। ।