विधानसभा में बुधवार को लूणकरणसर के शुभलाई गांव में हिरण शिकार मामला गूंजा। प्रतिपक्ष के सदस्यों ने इस मामले में सीसीएफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर सदन से बहिर्गमन किया। मंत्री सुखराम विश्नोई ने अपने बताया कि घटना में लापरवाही बरतने पर रेंजर मनरूप सिंह को निलंबित कर दिया गया है। संभागीय मुख्य वन संरक्षक की रिपोर्ट में मौके की स्थिति का उचित आकलन नहीं होने के कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर अग्रिम कार्यवाही की जा रही है। मामले की जांच पूरे होने पर अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। यह मामला भाजपा विधायक बिहारीलाल विश्नोई की तरफ से उठाया गया था।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ,उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और विधायक बिहारीलाल विश्नोई ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस मामले में उन्होंने सरकार सीसीएफ को निलंबित करके जांच करवाए। नेता प्रतिपक्ष ने आसन पर मौजूद सभापति राजेन्द्र पारीक से संरक्षण मांगते हुए कहा कि मंत्री के जवाब से साफ स्पष्ट है कि अधिकारी दोषी है। फिर भी बचाया जा रहा है। यह परंपरा सदन की गरिमा को कमजोर करने वाली है कि यहां मामला उठे और उसके बाद भी अधिकारी को बचाया जाए। कटारिया ने कहा कि इस मामले में आसन हस्तक्षेप कर जो आसन कहेंगा वो प्रतिपक्ष को मंजूर होगा। कटारिया के आग्रह पर सभापति पारीक ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए वनमंत्री से सवाल किए। पारीक ने पूछा कि आप यह बताए कि पहले रेंजर को सस्पैड क्यों किया और किया तो वापस क्यों लिया। मैं भी जीव हत्या के खिलाफ हूं। निलंबित रहते हुए भी अधिकारी का जवाब आ सकता था। इसी दौरान भाजपा के विधायक वैल में आ गए और शोर करने लगे। भाजपा विधायकों को हंगामा करता देख सभापति पारीक ने कहा कि वे मंत्री को निर्देश देना चाह रहे है लेकिन आप लोग पहले से एजेन्डा तय करके आए है तो ऐसा कैसे चलेगा? सभापति के कहने पर भाजपा विधायक अपने स्थानों पर वापस चलें गए। इसके बाद सभापति ने वनमंत्री को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस पूरे मामले को विधायकों से मिलकर अवगत करवाए। इस पर नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि सदन में मामला पर गंभीरता से चर्चा होने के बावजूद भी यदि कार्रवाई नहीं होती है तो यह परंपरा गरिमा गिराने वाली है। इसलिए मेरे दल के सदस्य वॉकआउट करते है और भाजपा सदस्य बहिर्गमन कर गए।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ,उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और विधायक बिहारीलाल विश्नोई ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस मामले में उन्होंने सरकार सीसीएफ को निलंबित करके जांच करवाए। नेता प्रतिपक्ष ने आसन पर मौजूद सभापति राजेन्द्र पारीक से संरक्षण मांगते हुए कहा कि मंत्री के जवाब से साफ स्पष्ट है कि अधिकारी दोषी है। फिर भी बचाया जा रहा है। यह परंपरा सदन की गरिमा को कमजोर करने वाली है कि यहां मामला उठे और उसके बाद भी अधिकारी को बचाया जाए। कटारिया ने कहा कि इस मामले में आसन हस्तक्षेप कर जो आसन कहेंगा वो प्रतिपक्ष को मंजूर होगा। कटारिया के आग्रह पर सभापति पारीक ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए वनमंत्री से सवाल किए। पारीक ने पूछा कि आप यह बताए कि पहले रेंजर को सस्पैड क्यों किया और किया तो वापस क्यों लिया। मैं भी जीव हत्या के खिलाफ हूं। निलंबित रहते हुए भी अधिकारी का जवाब आ सकता था। इसी दौरान भाजपा के विधायक वैल में आ गए और शोर करने लगे। भाजपा विधायकों को हंगामा करता देख सभापति पारीक ने कहा कि वे मंत्री को निर्देश देना चाह रहे है लेकिन आप लोग पहले से एजेन्डा तय करके आए है तो ऐसा कैसे चलेगा? सभापति के कहने पर भाजपा विधायक अपने स्थानों पर वापस चलें गए। इसके बाद सभापति ने वनमंत्री को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस पूरे मामले को विधायकों से मिलकर अवगत करवाए। इस पर नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि सदन में मामला पर गंभीरता से चर्चा होने के बावजूद भी यदि कार्रवाई नहीं होती है तो यह परंपरा गरिमा गिराने वाली है। इसलिए मेरे दल के सदस्य वॉकआउट करते है और भाजपा सदस्य बहिर्गमन कर गए।
यह था प्रकरण
लूणकरणसर के शुभलाई गांव में 22 जनवरी की रात काे हिरणाें का शिकार हुआ था। शिकारियाें की गिरफ्तारी और वन विभाग के अधिकारियाें की लापरवाही का आराेप लगाते हुए जीव प्रेमियाें ने धरना दिया था। प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद इस मामले में रेंजर मनरूपसिंह काे निलंबित किया गया। जिला कलेक्टर कुमारपाल गाैतम के निर्देश पर पूरे मामले की जांच के लिए एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। कमेटी की जांच पूरी नहीं हुई इससे पहले 18 फरवरी काे रेंजर मनरूपसिंह काे बहाल कर दिया। वन्य जीव प्रेमियाें के विरोध पर 20 फरवरी काे नया आदेश जारी कर रेंजर की बहाली का का आदेश वापस ले लिया।
लूणकरणसर के शुभलाई गांव में 22 जनवरी की रात काे हिरणाें का शिकार हुआ था। शिकारियाें की गिरफ्तारी और वन विभाग के अधिकारियाें की लापरवाही का आराेप लगाते हुए जीव प्रेमियाें ने धरना दिया था। प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद इस मामले में रेंजर मनरूपसिंह काे निलंबित किया गया। जिला कलेक्टर कुमारपाल गाैतम के निर्देश पर पूरे मामले की जांच के लिए एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। कमेटी की जांच पूरी नहीं हुई इससे पहले 18 फरवरी काे रेंजर मनरूपसिंह काे बहाल कर दिया। वन्य जीव प्रेमियाें के विरोध पर 20 फरवरी काे नया आदेश जारी कर रेंजर की बहाली का का आदेश वापस ले लिया।