बाद में भाजपा की गैर मौजूदगी में ही सदन में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक पारित हुआ। दऱअसल अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में वकील की आकस्मिक मृत्यु पर मिलने वाली अनुग्रह राशि का अलग अलग उल्लेख है, विधेयक में धारा 17 में संशोधन कर आकस्मिक मृत्यु पर अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने का प्रावधान का उल्लेख किया है, जबकि विधेयक के उद्श्यों और कारणों का कथन में अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख करने का उल्लेख किया गया है।
विधेयक पर बहस के दौरान कई भाजपा विधायकों और नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक में हुई इस गलती को सुधारकर बिल को फिर से पेश करने की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल जवाब देने खड़े हुए तो उस वक्त भी कटारिया ने बीच में टोकते हुए साफ चेतावनी दी कि विधेयक में अगर गलती ठीक नहीं की गई तो पूरी प्रकिया का बहिष्कार किया जाएगा।
मंत्री शांति धारीवाल ने अपने जवाब में इसे महज टाइपिंग मिस्टेक करार दिया। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायक सदन से वॉकआउट करके चले गए। भाजपा के बहिष्कार के बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में ही अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक को सदन में पारित किया गया,विधेयक पारित होने के बाद जब सदन में अनुदान मांगों पर बहस शुरु हुई तभी भाजपा विधायक वापस सदन में लौटे।
विधयेक पारित करते समय कांग्रेस विधायकों से हुई चूक
वहीं धिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक 2020 पारित करने के दौरान कांग्रेस विधायक बड़ी चूक कर गए और बिल को विचारार्थ कहने पर ना की जगह हां बोल गए। दरअसल बिल पर चर्चा के बाद जैसे ही सभापति राजेंद्र पारीक ने बिल को विचारार्थ लेने के लिए कहां कि जो इसके पक्ष में हैं वो हां और जो इसके विपक्ष में हैं वो ना कहे।
इस पर गफलत में सत्ता पक्ष के विधाययकों ने हां कह दिया। इस पर निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने आपत्ति की तो आसन ने उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए पुनः हां और ना की की प्रक्रिया शुरू की जिसके बाद सत्ता पक्ष विचारार्थ के विपक्ष में ना बोल पाए।