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शेखावटी के धोरों में भी लहलहाने लगी काले गेंहू की फसल

locationजयपुरPublished: Feb 12, 2020 10:11:33 am

Submitted by:

HIMANSHU SHARMA

हार्ट अटैक,कैंसर,एनीमिया,शुगर सहित कई बीमारियों का काला गेंहू औषधीय उपचार

Black wheat crop also started swaying in Shekhawati

Black wheat crop also started swaying in Shekhawati



जयपुर
राजस्थान के रेगिस्तानी धोरों में इन दिनों कई तरह की ऑर्गेनिक खेती की जा रही हैं। किसानों ने परम्परागत खेती के तरीकों के साथ साथ अब नई तकनीक से कृषि करना भी सीख लिया हैंं। यही कारण है कि अब शेखावटी के धोरों में काले गेंहू की खेती भी होने लगी है। कुछ साल पहले प्रयोग के रुप में शुरू हुई काले गेहूं की फसल अब खेतों में लहलहाने लगी है। झुंझुनू सूरजगढ़ के घरडू गांव के किसानों ने रेगिस्तान के धोरों में काले गेंहू की फसल उगाने का नया तरह का प्रयोग किया है जो आसपास के गांवों व अन्य किसानों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बन गए हैं।
दस बीघा खेत में फसल
सूरजगढ़ के घरडू गांव के किसान धर्मवीर व लीलाधर भड़िया ने बताया कि उन्होंने शुरू में अपने खेत में दस बीघा खेत में फसल बोई हैं। नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली से काले गेंहू के बीज लेकर आए। इससे पहले राजस्थान के चितौडगढ़ में इस तरह की फसल उगाई जा चुकी है। जहां से उन्हें इस फसल के बारे में पता लगा। वहीं मोहाली इंस्टीट्यूट से इस खेती की तकनीक को सीखा।
नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली से खुद बीज लेकर आए और अपने खेत में श्री विधि से काले गेहूं की बोवनी की।
यह होती है श्री विधि
श्री विधि पद्धति गेहूं की खेती करने का नया तरीका है, जिसमें श्री विधि सिद्धांतों का पालन करके प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती हैं। इस पद्धति में बीज शोधन, बीज उपचार व बुआई के तरीके में परिवर्तन होता हैं। इस पद्धति से बुआई के समय खेत में अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए, क्योंकि पर्याप्त नमी नहीं होगी तो अंकुर सूख जाएंगे। बीजों को हाथ से बोया जाता है, पौधे से पौधे और कतार से कतार की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए। इसके लिए पतले कुदाल से 2.5 से 3 सेमी गहरी नालियां बनाते हैं और उसमें बीज डालते हैं। इसके बाद मिट्टी से ढंक देते हैं। पौधे से पौधे में दूरी होने के कारण इनकी जड़ें अच्छे से फैलती हैं, इसमें बालियों की संख्या अधिक निकलती है। इसके साथ ही नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है।
किसानों का आर्थिक फायदा भी अधिक
किसान लीलाधर ने बताया कि काले गेंहू की ऑर्गनिक फसल स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी होती है। लीलाधर ने बताया की ऑर्गेनिक खेती में किसान की लागत काफी कम होती है जिससे उन्हें फसल की पैदावार में मुनाफा भी अधिक होता है। साधारण गेंहू बाजारों में 18 से 25 रुपए प्रतिकिलो के भावों में बिकता है वही काले गेंहू में औषधीय तत्वों के होने से यह बाजारों में 150 से 200 रुपए प्रतिकिलो तक में बिक जाता हैं। काले गेंहू दिखने में थोड़े काले व बैंगनी होते है इनका स्वाद साधारण गेंहू से काफी अलग व गुणकारी है। एंथोसाएनिन पिंगमेंट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इनका रंग ऐसा होता है। साधारण गेंहू में 5 से 15 प्रतिशत पीपीएम होता है जबकि काले गेंहू में इसकी मात्रा 40 से 140 प्रतिशत तक होती हैं। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।
सेहत के लिए है फायदेमंद
काला गेहूं खाने से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां नहीं होतीं। मोहाली के विशेषज्ञों का कहना है कि चूहों पर किए गए प्रयोगों में देखा गया कि ब्लड कॉलस्ट्रॉल और शुगर कम हुआ। वहीं इससे वजन भी कम हुआ। इस गेंहू में एंटीऑक्सीडेंट खूबियों की वजह से इंसानों के लिए भी यह फायदेमंद साबित होगा। यह हार्ट अटैक,कैंसर,एनीमिया,शुगर सहित कई बीमारियों का भी औषधीय उपचार हैं।
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