इसी सरकार में कुछ महीने पहले यूडीएच मंत्री ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज की मुख्य सड़कों के निर्माण और पैचवर्क का काम जेडीए को सौंपा दिया था। इससे साफ हो गया है कि निकायों की कार्य प्रणाली सरकार को रास नहीं आ रही है। सरकार इसके पीछे निकायों की आर्थिक तंगी को वजह बता रही है। मगर वजह है कि जनप्रतिनिधियों और नौकरशाही के बीच विवाद की वजह से निकयों में काम अटक जाते हैं, जिसकी वजह से सरकार ने यह नया रास्ता निकाला है। आपको बता दें कि बजट में सरकार ने घोषित किया है कि पीडब्ल्यूडी प्रत्येक नगर निगम में 40, नगरपरिषद में 25 और नगरपालिका में 15 किमी सड़कों का पैचवर्क कराया जाएगा। इस पर 1200 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
पहले भी जेडीए को दिया था काम यह पहला मौका नहीं है जब सड़कों के निर्माण या पैचवर्क का काम निकायों से छीनकर अन्य सरकारी संस्थाओं को दिया गया हो। अशोक गहलोत की पूर्व सरकार के समय भी चारदीवारी की मेजर सड़कों के पैचवर्क और निर्माण का काम जेडीए को सौंपा गया था। यही नहीं नगर निगम के नागतलाई नाला की सफाई भी जेडीए ने करवाई थी। जिसके बाद आज तक निगम यह नाला साफ नहीं कर रहा है।