देश में हर साल 15 लाख नए मरीज
राजस्थान में हर रोज लगभग 400 मरीज
ब्रेन स्ट्रोक आने पर 3-4 घंटे गोल्डन पीरियड डॉक्टरों के अनुसार विश्व में हर दूसरी सेकेंड में एक मरीज ब्रेन स्ट्रोक का सामने आ रहा है। भारत में ही हर साल 15 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के नए मरीज सामने आ रहे हैं। राजस्थान में हर रोज लगभग 400 मरीज स्ट्रोक के आ रहे हैं। स्ट्रोक की पहचान चेहरा टेढ़ा हो जाना, आवाज बदलाना, शरीर केएक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है। लक्षणों को समझ कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक का नई तकनीक से उपचार -:
स्ट्रोक के इलाज के लिए थक्कारोधी दवाओं के अलावा अब मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी नामक नई तकनीक भी आ गई है। खून के थक्के के कारण मस्तिष्क में ब्लॉक हुई रक्त वाहिकाओं को खोलने के लिए यह एक प्रभावी नॉन-सर्जिकल तकनीक है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया तब इस्तेमाल की जाती है जब स्ट्रोक आने के 3 से 4 घंटे (गोल्डन पीरियड) के अंदर भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाता, थक्का-रोधी दवाएं कोई मेडिकल कारणवश मरीज को नहीं दी जा सकती या फिर दवाई देने के बाद भी ब्लॉक हुई खून की नस नहीं खुलती।
– समय पर उपचार नहीं मिले तो आ जाता है लकवा
– ब्रेन स्ट्रोक भारत में रोगियों की मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण
– उपचार में देरी से मरनी लगती है मस्तिष्क की कोशिकाएं
– मरीज की उम्र भी 20 से 25 साल तक घट जाती है
न्यूरो सर्जन ने बताया किए ब्रेन स्ट्रोक बीमारी में इलाज जितनी देरी से होता है, उतनी ही तेजी से मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती है। इसलिए मरीज को घर पर न इलाज कर, अस्पताल में जल्द से जल्द पंहुच कर उपचार शुरू करवाना चाहिए। तीन से चार घंटे, जिसे गोल्डन पीरियड कहा जाता हैं, उसमें इलाज बहुत जरूरी है।