जयपुर

मरीज की उम्र 20 से 25 साल घटा देता है ब्रेन स्ट्रोक

Brain Stroke Day : Brain Strok अब Youth में भी तेजी से बढऩे वाली Disease हो गई है। देश में हर साल 15 लाख से ज्यादा ब्रेन स्ट्रोक के नए Patient सामने आ रहे हैं। Strok के बाद ब्रेन की प्रति मिनट 2 Million Cells मरने लगती हैं। स्ट्रोक या Paralysis का इलाज समय पर नहीं होने पर मरीज की उम्र भी 20 से 25 साल तक घट जाती है। समय पर Treatment नहीं किया जाए तो मरीज हमेशा के लिए लकवाग्रस्त भी हो जाता है।

जयपुरOct 29, 2019 / 05:41 pm

Anil Chauchan

Brain Stroke Day

Brain Stroke Day : जयपुर . ब्रेन स्ट्रोक ( Brain Strok ) अब युवाओं ( Youth ) में भी तेजी से बढऩे वाली ( Disease ) बीमारी हो गई है। देश में हर साल 15 लाख से ज्यादा ब्रेन स्ट्रोक के नए मरीज ( Patient ) सामने आ रहे हैं। स्ट्रोक के बाद ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं ( 2 Million Cells ) मरने लगती हैं। स्ट्रोक या लकवा ( Paralysis ) का इलाज समय पर नहीं होने पर मरीज की उम्र भी 20 से 25 साल तक घट जाती है। समय पर इलाज ( Treatment ) नहीं किया जाए तो मरीज हमेशा के लिए लकवाग्रस्त भी हो जाता है।
युवाओं में तेजी से बढऩे वाली बीमारी है स्ट्रोक
देश में हर साल 15 लाख नए मरीज
राजस्थान में हर रोज लगभग 400 मरीज
ब्रेन स्ट्रोक आने पर 3-4 घंटे गोल्डन पीरियड

डॉक्टरों के अनुसार विश्व में हर दूसरी सेकेंड में एक मरीज ब्रेन स्ट्रोक का सामने आ रहा है। भारत में ही हर साल 15 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के नए मरीज सामने आ रहे हैं। राजस्थान में हर रोज लगभग 400 मरीज स्ट्रोक के आ रहे हैं। स्ट्रोक की पहचान चेहरा टेढ़ा हो जाना, आवाज बदलाना, शरीर केएक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है। लक्षणों को समझ कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक पर काबू पाया जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक का नई तकनीक से उपचार -:
स्ट्रोक के इलाज के लिए थक्कारोधी दवाओं के अलावा अब मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी नामक नई तकनीक भी आ गई है। खून के थक्के के कारण मस्तिष्क में ब्लॉक हुई रक्त वाहिकाओं को खोलने के लिए यह एक प्रभावी नॉन-सर्जिकल तकनीक है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया तब इस्तेमाल की जाती है जब स्ट्रोक आने के 3 से 4 घंटे (गोल्डन पीरियड) के अंदर भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाता, थक्का-रोधी दवाएं कोई मेडिकल कारणवश मरीज को नहीं दी जा सकती या फिर दवाई देने के बाद भी ब्लॉक हुई खून की नस नहीं खुलती।
ये होता है नुकसान
– समय पर उपचार नहीं मिले तो आ जाता है लकवा
– ब्रेन स्ट्रोक भारत में रोगियों की मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण
– उपचार में देरी से मरनी लगती है मस्तिष्क की कोशिकाएं
– मरीज की उम्र भी 20 से 25 साल तक घट जाती है
ब्रेन स्ट्रोक भारत में रोगियों की मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है। उच्च रक्तचाप, डायबिटिज, बढ़ा हुआ कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान करना, अत्याधिक शराब का सेवन एवं हृदय रोग का पूर्व इतिहास ब्रेन स्ट्रोक आने की संभावना को बढ़ा देता है। उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार की होती है, खून की नस के बंद होने से या फिर खून की नस के फटने से। खून की नस के फटने वाले स्ट्रोक में सर्जरी कर जान बचाई जा सकती है।
न्यूरो सर्जन ने बताया किए ब्रेन स्ट्रोक बीमारी में इलाज जितनी देरी से होता है, उतनी ही तेजी से मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती है। इसलिए मरीज को घर पर न इलाज कर, अस्पताल में जल्द से जल्द पंहुच कर उपचार शुरू करवाना चाहिए। तीन से चार घंटे, जिसे गोल्डन पीरियड कहा जाता हैं, उसमें इलाज बहुत जरूरी है।
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