scriptमहिलाओं के प्रजनन अधिकार, मुद्दे एवं चुनौतियों पर मंथन | Brainstorming on women's reproductive rights, issues and challenges | Patrika News

महिलाओं के प्रजनन अधिकार, मुद्दे एवं चुनौतियों पर मंथन

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2020 01:09:41 am

Submitted by:

manoj sharma

राजस्थान विश्वविद्यालय में पंच वर्षीय विधि महाविद्यालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम

महिलाओं के प्रजनन अधिकार, मुद्दे एवं चुनौतियों पर मंथन

महिलाओं के प्रजनन अधिकार, मुद्दे एवं चुनौतियों पर मंथन

जयपुर.
जज होने के नाते हम दोनों पक्षों को सुनते हैं, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि महिला समाज अधिक शोषित और प्रताडि़त होता है। इसका मुख्य कारण बाल विवाह और दहेज प्रताडऩा है। यह बात महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के पंचवर्षीय विधि महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में इलाहबाद हाइकोर्ट के न्यायधीश एमएन भंडारी ने मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने कहा कि गर्भपात के मामले में एक बोर्ड का गठन किया जाता है और उसी के द्वारा निर्णय होता है। जब तक महिला अकेली होती है… तब तक उसके अधिकार स्वयं से जुड़े होते हैं, लेकिन विवाह के बाद अन्य लोग भी जुड़ जाते हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी का विषय ‘महिलाओं के प्रजनन अधिकार, मुद्दे एवं चुनौतियांÓ था। विशिष्ट अतिथि वुमन एसोसिएशन की प्रो. पवन सुराणा थीं। कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में 200 प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किया। इस दौरान
‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओÓ और बेटा समझाओ

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मंच चर्चा हुई, जिसमें पूर्व राज्य महिला आयोग अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल, विधी विभागाध्यक्ष जीएस राजपुरोहित, डॉ. लीला व्यास, डॉ. नीरजा व्यास, निदेशक पंच वर्षीय विधि महाविद्यालय डॉ. संजुला थानवी शामिल थीं। इस दौरान डॉ. लीलाव्यास ने प्रजनन में महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उपायों के बारे में जानकारी दी। वहीं डॉ. संजीदा थानवी ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ और बेटा समझाओ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं का शोषण रोकने और उनके अधिकार देने के लिए समाज को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।
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