ब्रेस्ट कैंसर से बचाव और इलाज की नई तकनीकों पर देश-विदेश के विशेषज्ञों ने यहां चल रही ऑन्कोप्लास्टी ब्रेस्ट सर्जरी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी। यूरोपियन सोसायटी ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और सीतादेवी हॉस्पिटल की ओर से आयोजित इस कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. उत्तम सोनी ने बताया कि दूसरे दिन शुक्रवार को ब्रेस्ट कैंसर के जल्दी डायग्नोस करने की कैन असिस्ट, जीन टेस्टिंग जैसी तकनीकों के बारे में चर्चा की गई। कैन असिस्ट टेस्ट के जरिए मरीज को कीमोथैरेपी देना जरूरी है या नहीं। इसका पहले ही पता किया जा सकेगा। वहीं एक्सपट्र्स ने ब्रेस्ट की डमी पर ट्यूमर की जांच करने के तरीके भी बताए।
हाथ का कैंसर होने से बचाता लिम्फोवीनस बेल्जियम के डॉ. फिलिप पोरमैन ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में 30 प्रतिशत मामलों में महिला को लिम्फडीमा हो जाता है। इसमें हाथ की सूजन इतनी बढ़ जाती है। मरीज के लिए उसका भार उठा पाना भी मुश्किल हो जाता है और समस्या बढऩे पर हाथ का कैंसर भी हो जाता है। अब इसके बचाव के साथ ही इसका इलाज भी हो सकता है। लिम्फोवीनस (लिम्फनोड्स ट्रांसप्लांट) द्वारा मरीज में लिम्फनोड ट्रांसप्लांट किए जाते हैं और उन्हें शरीर की खून की नसों के साथ जोड़ा जाता है। इससे हाथ में रक्त आपूर्ति ठीक हो जाती है और सूजन अपने आप कम होते हुए हाथ सामान्य हो जाता है।
एडीएम से ब्रेस्ट का रिकंस्ट्रक्शन इंग्लैंड के टिबोर कोवैक्स ने जानकारी दी कि सर्जरी में पूरा ब्रेस्ट निकालने के बाद भी नया ब्रेस्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए ए सेल्यूलर डर्मल मैट्रिक्स तकनीक द्वारा ब्रेस्ट का रिकंस्ट्रशन किया जा सकता है। इस तकनीक में जब सर्जरी के दौरान प्रभावित हिस्से को निकाला जाता है तो एडीएम द्वारा उस हिस्से को इम्प्लांट से फिर से बना दिया जाता है।