देश-विदेश से आए ब्रेस्ट कैंसर सर्जन, प्लास्टिक सर्जन और कैंसर रोग विशेषज्ञों ने यहां तीन दिन तक ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी जटिलताओं और इलाज की नवीनतम तकनीकों पर मंथन किया। कॉन्फ्रेंस का आयोजन एसोसिएशन ऑफ ब्रेस्ट सर्जन्स, सीतादेवी हॉस्पीटल, एसएमएस मेडिकल कॉलेज का प्लास्टिक सर्जरी विभाग एवं राजस्थान ब्रेस्ट आंकोलॉजी ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
आयोजन अध्यक्ष डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि 30 अगस्त से शुरू हुई इस कॉन्फ्रेंस में 60 सत्रों में 100 से अधिक शोध पत्र पढ़े गए, जिनमें 450 से अधिक एक्सपट्र्स ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह में आयोजन सचिव डॉ. उत्तम सोनी ने सभी का अभार व्यक्त किया।
ब्रेस्ट में गलन हो सकता है कैंसर -:
इंग्लैंड के डॉ. हीशम हमीद ने बताया कि ब्रेस्ट निपल में अगर तेज लालिमा, खुजली और ऊपरी त्वचा गलने लगे तो इसे स्किन डिजिज न समझें। यह पैजेट डिजिज है जोकि ब्रेस्ट कैंसर का ही रूप है। इसीलिए इस तरह के लक्षण दिखने पर ब्रेस्ट की जांच जरूर करानी चाहिए।
देरी से शादी ही नहीं, लेट प्रेग्नेंसी से भी खतरा -:
यूके की डॉ. सीमा सीतारमण ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर में आमतौर पर देरी से शादी होना तो एक बड़ा कारण है ही, साथ ही लेट प्रेग्नेंसी और कम ब्रेस्ट फीडिंग भी ब्रेस्ट कैंसर के बड़े खतरे होते हैं। वहीं युवा महिलाओं में गंभीर किस्म के ब्रेस्ट कैंसर सामने आ रहे हैं, जिन्हें शुरूआती स्टेज में पहचानना जरूरी है। नई इलाज तकनीकों से अब पूरा ब्रेस्ट हटाए बिना ही कैंसर ट्यूमर निकाल दिया जाता है। इलाज में अब कई नई दवाएं भी आ गई हैं जो बीमारी को सीधे टारगेट करके दी जाती हैं जिससे कैंसर कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं। कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन दिल्ली के डॉ. वेदांत काबरा, हैदराबाद से डॉ.पी.रघुराम, यूके से डॉ. सुमोहन चटर्जी, कोलकाता के डॉ. अभिराम माझी, इंग्लैंड की डॉ. साराह पिंडर ने भी अलग-अलग विषयों पर जानकारी दी।