scriptब्रिटेन : जमीन में रसायन डालकर तेल-गैस निकालने पर रोक | Britain: Ban on extracting oil and gas by adding chemicals to the grou | Patrika News

ब्रिटेन : जमीन में रसायन डालकर तेल-गैस निकालने पर रोक

locationजयपुरPublished: Nov 03, 2019 12:25:13 am

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dhirya

तेल और गैस निकालने की होड़ में धरती के भीतर बड़ी मात्रा में उच्च दबाव वाले रसायन पंप करने की प्रक्रिया पर ब्रिटेन ने रोक लगा दी है। तकनीकी भाषा में इसे फ्रैकिंग कहते हैं। पर्यावरणविद दशकों से रोक की मांग कर रहे थे। ताजा शोध सामने आने के बाद ब्रिटिश सरकार ने माना है कि आधुनिकतम तकनीक के बावजूद फ्रैकिंग के चलते भूकंप और उसके असर की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।

ब्रिटेन : जमीन में रसायन डालकर तेल-गैस निकालने पर रोक

ब्रिटेन : जमीन में रसायन डालकर तेल-गैस निकालने पर रोक

लंदन. तेल और गैस निकालने की होड़ में धरती के भीतर बड़ी मात्रा में उच्च दबाव वाले रसायन पंप करने की प्रक्रिया पर ब्रिटेन ने रोक लगा दी है। तकनीकी भाषा में इसे फ्रैकिंग कहते हैं। पर्यावरणविद दशकों से रोक की मांग कर रहे थे। ताजा शोध सामने आने के बाद ब्रिटिश सरकार ने माना है कि आधुनिकतम तकनीक के बावजूद फ्रैकिंग के चलते भूकंप और उसके असर की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने यह निर्णय तेल और गैस प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित नए वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर लिया गया जिसमें पाया गया कि फ्रैकिंग साइटों के पास स्थित समुदायों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। सरकार को भारी विरोध का सामना भी करना पड़ा रहा है। मंत्रियों ने शेल गैस कंपनियों को भी आगाह किया है कि भविष्य की परियोजनाओं को समर्थन नहीं देंगे जो कंपनियों के लिए झटका है।
ऐतिहासिक जीत बताया
सरकार के निर्णय पर पर्यावरण के लिए काम कर रहे ग्रीन समूहों और स्थानीय लोगों के लिए ऐतिहासिक जीत है। सीपीआरइ के टॉम फियांस ने कहा कि देश के धर्मार्थ संगठन स्थानीय समुदायों, प्रचारकों और पर्यावरणविदों के साथ मिलकर जश्न मनाएंगे, जो इसे रोकने के लिए अभियान चला रहे हैं।
क्या होती है फ्रैकिंग
फ्रैकिंग वह प्रक्रिया है जिसके तहत उच्चदाब पर रसायनों को गहराई में चट्टानों की दरारों में भेजकर उनमें से गैस को निकालते है। इसमें उच्च क्षमता वाले पंपों से पानी के साथ रसायनों को चट्टानों में भेजकर इसमें फंसे तेल और गैस निकालते है।
फ्रैकिंग का पर्यावरण पर बुरा असर
इसमें भारी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। इससे आसपास के इलाके में पीने के पानी की कमी को उत्पन्न करते हैं।
इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाला २०-३० प्रतिशत पानी प्रदूषित होकर भूतल पर लौटाता है। पर्यावरणविदों का मानना है कि फ्रैकिंग से चट्टानों की दरारें खाली होने से भूकंप की संभावना बढ़ती है।
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