-250 बकरियों ने लांघी सीमा यह समस्या उस समय उभर कर सामने आई जब पिछले दिनों तेज तूफान, आंधी से जैसलमेर के सीमावर्ती इलाके पोछीना गांव क्षेत्र से ग्रामीणों ने अपनी 250 बकरियों के तारबंदी लांघकर सीमा पार चले जाने की शिकायत की और बीएसएफ से बकरियां वापस दिलाने की मांग की। दरअसल आंधी के चलते रेतील टीलों ने स्थान बदलकर तारबंदी को ढंक दिया, जिससे बकरियां सीमा पार निकल गई।
-44.5 किमी…एकल तारबंदी दरअसल जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ज से लगती पाकिस्तानी सीमा पर करीब 32.5 कि मी का क्षेत्र एवं बाड़मेर के सुंदरा क्षेत्र से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा में करीब 12 किमी का क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जहां रेत के टीले तेज आंधी के दौरान स्थान बदलते रहते हैं। फिर यहां एकल तारबंदी है। यही वजह है कि यहां लगी तारबंदी अब तक सफल नहीं हो पाई है।
-केंद्र सरकार कर चुकी करोड़ों खर्च केंद्र सरकार इस क्षेत्र को टीले मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन यह क्षेत्र बीएसएफ के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। एक पशुपालक बलवीर ङ्क्षसह पोछीना ने बताया कि ग्रामीणों की कई बकरियां बाड़मेर के सुंदरा सीमा से पाकिस्तान चली गईं, क्योंकि इस इलाके में तारबंदी पूरी तरह रेत से ढंक जाती है, जिसके चलते सीमा पार करना आसान हो जाता है।
-मवेशी पालकों को आर्थिक नुकसान पोछीना ने बताया कि जैसलमेर के सीमावर्ती करड़ा, पोछीना सहित आधा दर्जन गांव की बकरियां रेत पर चढ़कर सीमा पार जा चुकी हैं, जिससे हम मवेशी पालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है। इस संबंध में जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में कई पशुपालकों ने बताया कि ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है, हमारी बकरियां जो कि सीमा पार जाने से हम बेरोजगार हो चुके हैं। परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है। उधर, बाड़मेर सेक्टर जो गुजरात फ्रंटियर में आता है, के प्रवक्ता महानिरीक्षक एम.एल. गर्ग ने बाड़मेर के सुंदरा क्षेत्र से बकरियों के तारबंदी पार करके पाकिस्तान जाने की घटना का खंडन करते हुए कहा कि उस इलाके में इस प्रकार की कोई घटना घटित नहीं हुई है, फिर भी वह मामले की जांच करवा रहे हैं।