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बीआरटीएस: कागजों में विदेश से तुलना, धरातल पर तोड़ा दम

locationजयपुरPublished: May 16, 2022 05:00:02 pm

Submitted by:

Anand Mani Tripathi

बीआरटीएस कॉरिडोर बनने के बाद भी राजधानी में सार्वजनिक परिवहन को गति नहीं मिल पाई है। इस बीआरटीएस की तुलना विदेशी यातायात सिस्टम से की जा रही थी। लेकिन ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरा तो अब तक दम तोड़ता ही नजर आया। अब तो इसके निर्माण पर भी सवाल उठने लगे हैं। बात सीकर रोड के बीआरटीएस कॉरिडोर की हो या फिर अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड की, दोनों जगह एक जैसा हाल है।

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बीआरटीएस कॉरिडोर बनने के बाद भी राजधानी में सार्वजनिक परिवहन को गति नहीं मिल पाई है। इस बीआरटीएस की तुलना विदेशी यातायात सिस्टम से की जा रही थी। लेकिन ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरा तो अब तक दम तोड़ता ही नजर आया। अब तो इसके निर्माण पर भी सवाल उठने लगे हैं। बात सीकर रोड के बीआरटीएस कॉरिडोर की हो या फिर अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड की, दोनों जगह एक जैसा हाल है।
अजमेर रोड से न्यू सांगानेर रोड (बी-2 बाइपास तिराहा) तक के कॉरिडोर का पत्रिका टीम ने जायजा लिया। इसके निर्माण पर 95 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके हर 500 मीटर फासले पर एक कट बनाया गया है। सफाई व्यवस्था खराब दिखी। कई जगह लोहे की जालियां भी टूटी मिलीं। जेडीए भले ही हर महीने इसके रखरखाव पर लाखों रूपये खर्च कर रहा हो, लेकिन जमीन पर काम होता हुआ नहीं दिखा।
ये हो तो कुछ मिले राहत
कॉरिडोर में निजी वाहन घुस आते हैं,इनको रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। यातायात पुलिस रात में बैरिकेड्स लगाकर इसे बंद करे, ताकि जिसके लिए बनाया गया है, उसके लिए प्रयोग किया जाए। शुरुआती दिनों में जेडीए ने निजी वाहनों के प्रवेश को रोकने के लिए गार्ड लगाए थे जो अब नहीं हैं। इनको दुबारा लगाया जाए।
यहां बेहतर है व्यवस्था

इंदौर : अभी 70 बसों का संचालन कॉरिडोर में हो रहा है। इनमें 40 डीजल और 30 सीएनजी बसें हैं। जल्द ही 30 इलेक्ट्रिक बसें भी शुरू हो जाएंगी।
अहमदाबाद : 250 बसों का संचालन हो रहा है। सभी रूट को एक-दूसरे के साथ जोड़ा गया है। अन्य वाहन कॉरिडोर में प्रवेश करने पर जुर्माना वसूला जाता है।

एक्सपर्ट कमेंट अधूरा प्रोजेक्ट उपयोगी नहीं
राजधानी में बीआरटीएस कॉरिडोर टुकड़ों में है। इस वजह से उपयोगी नहीं है। जिम्मेदार अधिकारियों को बसों की संख्या बढ़ानी चाहिए। साथ ही 5 से 10 मिनट में बस यात्रियों को मिलनी भी चाहिए। यात्रा आरामदायक होगी तो यात्री सफर करने के लिए आएंगे। हमारे यहां प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया गया। ऐसे में इसकी उपयोगिता और खत्म हो गई। अहमदाबाद बेहतर इसलिए है क्योंकि वहां की यात्रा सुरक्षित है और समय पर बसें आती हैं। यही वजह है कि वहां अमीर से लेकर गरीब व्यक्ति बीआरटीएस से सफर करता है।
– चंद्रशेखर पाराशर, सेवानिवृत्त, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक

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