बैठक के बाद पूनियां ने कहा कि हमारे विधिवेत्ता से राय मशविरा कर रहे हैं। फ्रेश पिटिशन की गुंजाइश है। हमारे पास समय है। कॉपी आने के बाद उसका अध्ययन करने पिटिशन दायर की जाएगी। विधानसभाध्यक्ष की ओर से याचिका को खारिज करने के सवाल पर पूनियां ने कहा कि उनको विशेषाधिकार है। लेकिन तत्परता कांग्रेस के नाराज लोगों को नोटिस देन में दिखाई गई, उतनी तत्परता इस याचिका के निस्तारण में नहीं दिखाई वो कहीं ना कहीं शंका पैदा करती है। याचिका खारिज करने के आदेश की कॉपी लेने के लिए भी मदन दिलावर को जद्दोजहद करनी पड़ी है। बैठक में पूर्व विधानसभाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, विधायक मदन दिलावर सहित कई नेता शामिल हुए।
न्यायालय से तय होगा पूनियां ने कहा कि बसपा के सतीश मिश्रा ने जो पत्र जारी किया है। इस तरह के सिमिलर केसेज में कोर्ट ने रिलीफ दी है। बीएसपी का चुनाव चिन्ह हैं और उस का राष्ट्रीय स्तर पर कोई मर्जर नहीं हुआ है, इसलिए विधायकों का मर्जर जायज है या नहीं ये न्यायालय तय करेगा।
2008 जैसी ही स्थिति भाजपा पर खरीद—फरोख्त के आरोपों पर पूनियां ने कहा कि ये सामान्य सा आरोप है। इसका उनके पास कोई प्रमाण नहीं है। अपने घर के झगड़े को बीजेपी के माथे मंढ़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 2008 जैसी ही स्थिति है। उस समय अशोक गहलोत ने भंडारे में समर्थन लिया हो ऐसा नहीं है। उस समय बीएसपी के लोग मर्ज हुए थे क्या डील हुई थी इसका पता नहीं लगा। अब भी ऐसा हुआ हैं, किस तरह से निर्दलियो और छोटे दलों को मिलाया गया है। मैनेजमेंट का सीधा उदाहरण बीटीपी विधायक का वीडियो है, जिसमें वो सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं और दो दिन बाद सरकार में शामिल हो जाते हैं। इतना बड़े ह्रदय परिवर्तन की अशोक गहलोत से उम्मीद नहीं की जा सकती है।
विधानसभाध्यक्ष ने दिया निर्णय इसलिए खारिज हुई याचिका राठौड़ ने बताया कि हाईकोर्ट में मदन दिलावर ने विधानसभाध्यक्ष की ओर से कार्रवाई नहीं करने की याचिका लगाई थी। इस पर 24 को स्पीकर ने याचिका को खारिज कर दिया। हम विधिक राय लेकर फिर कोर्ट जाएंगे।