विधायकों के हुए कामों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 14 जुलाई से लेकर अब तक गहलोत सरकार ने नौकरशाही का पूरा ढ़ाचा ही बदल दिया। विधायक अपने मनमाफिक अफसरों की पोस्टिंग कराने में कामयाब रहे। आरएएस-आरपीएस से लेकर एडीएम और एसडीओ तक विधायकों ने अपनी मर्जी से लगवाए।
यहीं नहीं जिला स्तर पर भी विधायकों ने अपने मनमाफिक अधिकारियों को तैनात करवाया। पिछले 20 दिनों में 300 से ज्यादा नौकरशाहों को इधर-उधर किया गया है।
जो फोन नहीं उठाते थे उन अफसरों ने किए विधायकों के काम
विधायकों की माने तो बाड़ाबंदी से पहले जो आईएएस-आईपीएस अफसर विधायकों को महत्व नहीं देते थे और उनके फोन तक रिसीव नहीं करते थे, उन्हीं अधिकारियों ने अब केवल वाट्सअप मैसेज पर ही विधायकों के तुरंत काम किए। मुख्यमंत्री ने भी नौकरशाहों को सख्त निर्देश दिए हुए थे कि उनके विधायकों के काम तुरंत होने चाहिए। जबकि अपने काम कराने के लिए विधायकों को कई बार सचिवालय के चक्कर लगाने पड़े थे।
मंत्रियों ने भी काम में कमी नहीं छोड़ी
वहीं बाड़ाबंदी के दौरान मंत्रियों ने भी विधायकों के काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। होटल से ही मंत्री विधायकों के काम करते रहे। यही वजह है कि कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों भी सरकार के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं।