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तरसा रहे बादलों पर होगा रसायनों का छिड़काव और बरस पड़ेगा पानी

locationजयपुरPublished: Jul 26, 2019 02:06:30 am

Submitted by:

vinod

श्रावण का महिना शुरू हो गया है, लेकिन मानसून (monsoon) प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है। कई इलाके अभी भी सूखे हैं। इसको देखते हुए चित्तौडग़ढ़, उदयपुर व राजसमंद जिले में क्लाउड सीडिंग (cloud seeding) तकनीक से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने पर विचार किया जा रहा है।

burning clouds will be spraying chemicals and pouring water

बादलों पर रसायनों का छिड़काव करता एयरक्राफ्ट (फाइल फोटो)

-चित्तौडग़ढ़, उदयपुर व राजसमन्द जिले में होगी कृत्रिम वर्षा

जयपुर/चित्तौडग़ढ़। श्रावण का महिना का शुरू हुए कई दिन हो गए हैं, लेकिन मानसून (monsoon) की बेरुखी बन हुई है। ऐसे में सामान्य से कम बारिश (rain) का खतरा मंडरा रहा है। इस स्थिति में अब हिंदुस्तान जिंक मानसून में वर्षा की वृद्धि की संभावना तलाश रही है। इसके लिए क्लाउड सीडिंग (cloud seeding) तकनीक से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराई जाएगी। कंपनी ने राजस्थान के चुनिंदा क्षेत्रों उदयपुर, चित्तौडग़ढ़ और राजसमंद में इस प्रक्रिया के लिए एक अमेरिकी कंपनी से करार किया है। कृत्रिम बारिश की यह प्रक्रिया 25 जुलाई से 30 सितंबर के दौरान होगी। इस दौरान आकाश में घने बादल व अनुकूल परिस्थिति बनने पर एयरक्राफ्ट (aircraft) के माध्यम से बादलों पर विशेष रसायनों का छिड़काव कराया जाएगा। हिन्दुस्तान जिंक वर्ष 2012 में भी जुलाई में मानूसन की इसी तरह की बेरुखी देख चित्तौडग़ढ़ व राजसमन्द जिले में क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल कर चुका है।
कैसे कराई जाएगी क्लाउड सीडिंग
हिंदुस्तान जिंक ने मानसून की अनुकूल स्थिति को प्रेरित करने या बढ़ाने के लिए बारिश के बादलों में विशिष्ट रसायनों का छिड़काव कर कृत्रिम बारिश बनाने के लिए क्लाउड सीडिंग के लिए विशेष विमान किराए पर लिया है। क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने के लिए कंपनी इस बार मौसम रडार का उपयोग करेगी जो कि सीड्स के लिए उपयुक्त बादलों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह जानकारी विमान के पायलट को दी जाती है जो वास्तव में क्लाउड में हाइग्रोस्कोपिक नमक इंजेक्ट कर क्लाउड सीडिंग करता है। हिंदुस्तान जिंक राजस्थान में पहली कंपनी है जिसने इस तरह के प्रयास किए हैं।
क्लाउड सीडिंग से क्या होगा लाभ
इस प्रक्रिया से सम्बन्धित क्षेत्र के उन किसानों को मदद मिलेगी जो अपनी फसलों के लिए वर्षा जल पर निर्भर हैं। बारिश का अतिरिक्त पानी भी क्षेत्र में पीने के पानी की कमी को कम करने में सहायक होगा।
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