scriptओह गॉड! न चिल्लाते तो जिंदगी का बन जाता ‘आखिरी सफर’ | bus Driving Situation in Pre-accident | Patrika News

ओह गॉड! न चिल्लाते तो जिंदगी का बन जाता ‘आखिरी सफर’

locationजयपुरPublished: Apr 16, 2017 06:34:00 pm

Submitted by:

vijay ram

ये घटना बताती है कि मुसबीत में शंात रहने के बजाए आवाज जरूर उठानी चाहिए, भले ही आप बस या ट्रक में ही क्यों न यात्रा कर रहे हों!

bus after accident

bus after accident

 कभी-कभी चिल्लाना भी जान बचवा देता है। इसलिए, मुसबीत में शंात रहने के बजाए आवाज जरूर उठानी चाहिए, भले ही आप बस या ट्रक में ही क्यों न यात्रा कर रहे हों!


सर्वाधिक आबादी वाले जिले में एक रोज सवारियों की चिल्लाहट से ही उनकी जान बच सकी, वरना बड़ा हादसा हो जाता। यहां फागी से सांगानेर आ रही निजी बस की छत पर सवारियां बैठी थीं। न सवारियों को अपनी जान की चिंता थी, न ही बस चालक को। बस जैसे ही सांगानेर से करीब एक किमी आगे डिग्गी रोड पर पुलिया से पहले लगी बैरिकेडिंग क्रॉस करने को हुई तो आफत में जान फंसती देख सवारियां चिल्ला पड़ीं।

इसके बाद बस किसी तरह रुकी और बड़ा हादसा टल गया। यातायात पुलिस ने अत्यधिक ऊंचाई तक ओवर लोडिंग या बसों की छतों पर लोगों के सफर रोकने के लिए अभी हाल ही में बैरिकेडिंग की है। संवाददाता के अनुसार, घटना गुरुवार सुबह करीब 9.30 बजे फागी से सांगानेर आ रही निजी बस की है। लेकिन शहर में कई बार इस तरह की सिचुएशन देखने को मिल चुकी हैं। इसलिए जहां भी सफर करें, सावधानी पूर्वक ही करें।
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