scriptजिनके नाम से झांसी रोशन, उनके ही महल में पसरा अंधेरा | By whose name Jhansi Illuminating ...darkness in his own palace | Patrika News

जिनके नाम से झांसी रोशन, उनके ही महल में पसरा अंधेरा

locationजयपुरPublished: Nov 25, 2019 01:09:18 am

Submitted by:

sanjay kaushik

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली महारानी लक्ष्मीबाई(Maharani Laxmi Bai) की वीरता के किस्से आज भी देश दुनिया में बड़े अदब के साथ सुनाए जाते हैं। लक्ष्मीबाई की 184वीं जयंती(184th Birth Anniversary) पर रानी के जीवन से जुड़ी दो बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरें अंधेरे की आगोश में लिपटी(Heritage wrapped in darkness) रहीं।

जिनके नाम से झांसी रोशन, उनके ही महल में पसरा अंधेरा

जिनके नाम से झांसी रोशन, उनके ही महल में पसरा अंधेरा

-अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली महारानी लक्ष्मीबाई

-वीरंगना का महल व किला सरकारी उदासीनता के कारण खंडहर में तब्दील

झांसी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली महारानी लक्ष्मीबाई(Maharani Laxmi Bai) की वीरता के किस्से आज भी देश दुनिया में बड़े अदब के साथ सुनाए जाते हैं। झांसी को दुनिया के ऐतिहासिक पर्यटन मानचित्र में अहम स्थान दिलाने वाली वीरंगना का महल और किला सरकारी उदासीनता के कारण खंडहर की शक्ल में तब्दील होता जा रहा है। देश को दासता की जंजीर से मुक्त कराने में अहम योगदान देने वाली लक्ष्मीबाई की 184वीं जयंती(184th Birth Anniversary) पर उनकी कर्मस्थली झांसी(Jhansi)) को रोशनी से सराबोर किया गया और विभिन्न संगठनों ने कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, लेकिन रानी के जीवन से जुड़ी दो बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरें अंधेरे की आगोश में लिपटी(Heritage is wrapped in darkness) रहीं। झांसी का किला और रानी महल यह वह दो महत्वपूर्ण इमारतें हैं जो न केवल महारानी लक्ष्मीबाई से सीधे तौर पर जुड़ी हैं, बल्कि झांसी शहर की पहचान भी हैं।
-प्रशासनिक स्तर पर कोई आयोजन नहीं

पिछले मंगलवार को शहर भर में लोगों ने दीपांजलि की, विभिन्न चौराहों को रोशनी से सजाया गया और रंगालियां बनाकर बच्चों ने रानी झांसी के जीवन से जुडेंं ऐतिहासिक पलों को रंगों की मदद से उकेरा। इस बीच रानी झांसी का किला और रानी महल दोनों ही इमारतें उस जगमगाहट की बांट जोहती नजर आईं। उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी का कहना था कि अपनी रानी की वीरता और शौर्य की कहानी को याद करते हुए लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उनकी जयंती पर खुशी का इजहार करने के लिए सभी कार्यक्रमों का आयोजन किया। प्रशासनिक स्तर पर हालांकि ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया और न ही ऐसा किया जाता है। इतना ही नहीं काफी प्रयास के बाद भी रानी की जयंती के अवसर पर भी किले और महल पर रोशनी की इजाजत प्रशासन की ओर से नहीं दी गई।
-प्रशासन की सफाई…एएसआई के अधिकार क्षेत्र में

पटवारी ने बताया कि प्रशासन इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत आने का रोना रोकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। अधिकारियों के अनुसार रानी झांसी से जुड़ी इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों पर सजावट की इजाजत केवल एएसआई दे सकता है और कार्यक्रम के आयोजक अगर प्रशासन को इस मामले में कोई पत्र देते हैं तो वह केवल उसे एएसआई को प्रेषित करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता। इन इमारतों पर सजावट की इजाजत देना या नहीं देना एएसआई के हाथ में है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष का कहना है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर यदि दोनों इमारतों पर सजावट और ध्वजारोहण हो सकता है जो झांसी विकास प्राधिकरण की ओर से कराया जाता है तो जिस रानी की यह दोनों ही इमारतें हैं उनके जन्मोत्सव पर इन इमारतों को क्यों नहीं सजाया जा सकता।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो