-प्रशासनिक स्तर पर कोई आयोजन नहीं पिछले मंगलवार को शहर भर में लोगों ने दीपांजलि की, विभिन्न चौराहों को रोशनी से सजाया गया और रंगालियां बनाकर बच्चों ने रानी झांसी के जीवन से जुडेंं ऐतिहासिक पलों को रंगों की मदद से उकेरा। इस बीच रानी झांसी का किला और रानी महल दोनों ही इमारतें उस जगमगाहट की बांट जोहती नजर आईं। उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी का कहना था कि अपनी रानी की वीरता और शौर्य की कहानी को याद करते हुए लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उनकी जयंती पर खुशी का इजहार करने के लिए सभी कार्यक्रमों का आयोजन किया। प्रशासनिक स्तर पर हालांकि ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया और न ही ऐसा किया जाता है। इतना ही नहीं काफी प्रयास के बाद भी रानी की जयंती के अवसर पर भी किले और महल पर रोशनी की इजाजत प्रशासन की ओर से नहीं दी गई।
-प्रशासन की सफाई…एएसआई के अधिकार क्षेत्र में पटवारी ने बताया कि प्रशासन इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत आने का रोना रोकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। अधिकारियों के अनुसार रानी झांसी से जुड़ी इन दोनों ऐतिहासिक धरोहरों पर सजावट की इजाजत केवल एएसआई दे सकता है और कार्यक्रम के आयोजक अगर प्रशासन को इस मामले में कोई पत्र देते हैं तो वह केवल उसे एएसआई को प्रेषित करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता। इन इमारतों पर सजावट की इजाजत देना या नहीं देना एएसआई के हाथ में है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष का कहना है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी पर यदि दोनों इमारतों पर सजावट और ध्वजारोहण हो सकता है जो झांसी विकास प्राधिकरण की ओर से कराया जाता है तो जिस रानी की यह दोनों ही इमारतें हैं उनके जन्मोत्सव पर इन इमारतों को क्यों नहीं सजाया जा सकता।