गौरतलब है कि राजसमन्द के अलावा भीलवाड़ा के सहाड़ा, चूरु के सुजानगढ़ और उदयपुर के वल्लभनगर में विधायकों के निधन के बाद चार सीटें खाली हुई हैं जिनपर उपचुनाव होने हैं। फिलहाल केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव कार्यक्रम घोषित होने का इंतज़ार है।
‘सेमी फाइनल’ ने बनाई रोचक स्थिति
निकाय चुनाव परिणाम के मुताबिक़ कांग्रेस को जहां भाजपा विधायक वाले राजसमन्द क्षेत्र में स्पष्ट बहुमत मिला है, तो वहीं भाजपा को कांग्रेस विधायक वाले सहाड़ा क्षेत्र के गंगापुर निकाय में स्पष्ट बहुमत मिला है। इसी तरह से सुजानगढ़ निकाय में कांग्रेस बहुमत के नजदीक है, जबकि इसके बीदासर निकाय में भाजपा की स्थिति मजबूत है। इस क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक थे।
वहीं उदयपुर के वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा से ज्यादा निर्दलीयों पर भरोसा जताया है। यहां निर्दलीय पार्षदों का दबदबा देखा गया है। यहां भी कांग्रेस के ही विधायक थे। कुल मिलाकर इन क्षेत्रों में मतदाताओं ने दोनों पार्टियों को उपचुनाव से पहले आइना दिखाने का काम कर दिया है।
दोनों पार्टियों के लिए चुनौतियां
प्रस्तावित उपचुनाव की चार विधानसभा सीटों में से तीन विधायक कांग्रेस के थे जबकि एक में भाजपा काबिज़ थी। ऐसे में भाजपा के पास एक सीट बचाए रखने के साथ तीन अतिरिक्त सीटें की चुनौती है तो वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास अपनी तीन सीटों को बचाए रखकर एक अतिरिक्त सीट जीतने का मौका है। भाजपा यदि चारों की चारों सीटों पर परचम लहराती है तो सूबे के सियासी समीकरण काफी कुछ बदलने की संभावना है।
बदलनी होगी रणनीति
उपचुनाव क्षेत्रों में लगभग बराबरी पर रहने वाली कांग्रेस और भाजपा पार्टियों को एक-दूसरे पर बढ़त बनाने के लिए रणनीति में बदलाव करना होगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक सतीश पूनिया भी कह चुके हैं कि निकाय चुनाव नतीजों में जहां कहीं कमी रही है उसका आंकलन कर उन्हें दूर करने की कोशिशें की जायेंगी।