राजस्थान विश्वविद्यालय की मनमर्जी,ज्यादा अंक वाली छात्रा को दरकिनार कर कम अंक आने वाली छात्रा को बनाया महासचिव
जयपुरPublished: Sep 30, 2019 11:37:19 am
कक्षा प्रतिनिधि पदाधिकारियों की नियुक्तियों में गड़बड़ी,ज्यादा अंक लाने वाली छात्रा ने दर्ज करवाया मामला
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जयपुर
राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रशासन की मनमर्जी कोई नई बात नहीं है। अपने चहेतों को पद देने का खेल भी विश्वविद्यालय में चलता आ रहा है। लेकिन अब यह खेल छात्रसंघ चुनावों में विभागों में छात्रसंघ प्रतिनिधियों की नियुक्तियों तक पहुंच गया है। जहां पर विभागों में हुए अप्रत्यक्ष प्रणाली से कक्षा प्रतिनिधियों के चुनाव में विश्वविद्यालय प्रशासन ने योग्यता को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों को पद दे दिए हैं। विश्वविद्यालय के लोकप्रशासन विभाग में ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां पर ज्यादा अंक लाने वाली छात्रा को दरकिनार करते हुए विभागध्यक्ष और रेक्टर ने कम अंक वाली छात्रा को छात्रसंघ महासचिव बना दिया जाए। जबकि नियमों के अनुसार सेमेस्टर में ज्यादा अंक लाने वाली छात्रा का चुनाव कर उसकी नियुक्ति करनी थी। मामले का खुलासा भी जब हुआ तब विभाग में लगी छात्रसंघ प्रतिनिधियों की सूची में छात्रा अपने से कम अंक वाली छात्रा का नाम देखकर चौंक गई। जिसके बाद लोक प्रशासन विभाग थर्ड सेमेस्टर की छात्रा नेहा कुमावत ने विभागध्यक्ष और छात्र कल्याण अधिष्ठाता को आपत्ति दी है। जिसमें नेहा ने लिखा है कि विभाग में अंकों के आधार पर मेरा मनोनयन महासचिव पद पर होना था। लेकिन मेरे स्थान पर मुझसे कम अंक लाने वाली छात्रा को महासचिव बना दिया गया। ऐसे में ज्यादा अंक लाने वाली छात्रा ने विश्वविद्यालय से न्याय की मांग की है।
मैरिट पर होना था छात्रसंघ पदाधिकारियों का चुनाव
पहले विश्वविद्यालयों के सभी पीजी के विभागों में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होते थे और वोटिंग होती थी। लेकिन 2017 में उच्च शिक्षा विभाग ने नियमों में बदलवा कर दिया। जिसके तहत वोटिंग नहीं होकर विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक विभागों में अध्यक्ष पद सहित अन्य पदों के लिए वोटिंग पर रोक लगा दी थी। नए नियम के अनुसार शैक्षणिक विभागों में संबंधित विभागाध्यक्ष द्वारा मैरिट के आधार पर छात्र परिषद का मनोनयन करना था। जिसमें अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थी को चुनकर अध्यक्ष,महासचिव,उपाध्यक्ष और सचिव को नियम अनुसार चुनना था। लेकिन लोकप्रशासन विभाग ने महासचिव पद पर थर्ड सेमेस्टर की अदिति शर्मा को नियुक्त कर दिया जिसके नंबर उसी की कक्षा की छात्रा नेहा से कम है। जबकि मैरिट बेस पर नेहा को महासचिव बनाया जाना चाहिए था। क्योकि कक्षा में नेहा के अंक अदिति से ज्यादा हैं।