ऊंटपालकों को राहत नहीं मिली
पाली जिलेे के सादड़ी में कैमल मिल्क डेयरी संचालित कर रहे हनुमंत सिंह राठौड़ का कहना है कि सरकारों ने ऊंटपालकों को राहत नहीं दी है। ऊंटों की संख्या भी कम हो गई है। संरक्षण के नाम पर दिखावा हो रहा है। ऊंटनी के दूध की आस जगी है लेकिन इसमें भी सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। प्रचार-प्रसार की ज्यादा जरूरत है। डेयरी प्लांट खोले तो राहत मिलेगी।
पाली जिलेे के सादड़ी में कैमल मिल्क डेयरी संचालित कर रहे हनुमंत सिंह राठौड़ का कहना है कि सरकारों ने ऊंटपालकों को राहत नहीं दी है। ऊंटों की संख्या भी कम हो गई है। संरक्षण के नाम पर दिखावा हो रहा है। ऊंटनी के दूध की आस जगी है लेकिन इसमें भी सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। प्रचार-प्रसार की ज्यादा जरूरत है। डेयरी प्लांट खोले तो राहत मिलेगी।
सोशल मीडिया बना सहारा
ऊंटनी का दूध बेच रहे ऊंटपालक सोशल साइट्स के जरिए दूध भेज रहे हैं। कई ऊंटपालकों ने वेबसाइट भी बना रखी है तो बहुत से व्हाट्सऐप और फोन के जरिए ऑर्डर बुक करते हैं।
ऊंटनी का दूध बेच रहे ऊंटपालक सोशल साइट्स के जरिए दूध भेज रहे हैं। कई ऊंटपालकों ने वेबसाइट भी बना रखी है तो बहुत से व्हाट्सऐप और फोन के जरिए ऑर्डर बुक करते हैं।
लॉकडाउन में पीएम से लगाई थी गुहार
लॉकडाउन में बेंगलूरु निवासी महिला को अपने ऑटिज्म पीड़ित बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध मंगवाना पड़ा। इसके लिए उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट किया। इसके बाद अधिकारियों ने तुंरत कार्रवाई करते हुए अजमेर से मुंबई जा रही मालगाड़ी को फालना स्टेशन पर रूकवाकर पाली जिले के सादड़ी से दूध भिजवाया था।
लॉकडाउन में बेंगलूरु निवासी महिला को अपने ऑटिज्म पीड़ित बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध मंगवाना पड़ा। इसके लिए उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट किया। इसके बाद अधिकारियों ने तुंरत कार्रवाई करते हुए अजमेर से मुंबई जा रही मालगाड़ी को फालना स्टेशन पर रूकवाकर पाली जिले के सादड़ी से दूध भिजवाया था।
यों बिगडी़ तस्वीर
डेयरी अफसरों की उदासीनता के कारण ऊंटनी का दूध सरस डेयरी के उत्पादों में शामिल नहीं हो सका। इस कारण यह आमजन की पहुंच से दूर है। इधर सरस व निजी डेयरी में वह 25 से 30 रुपए प्रति लीटर तो ऊंटपालकों की डेयरियों पर 60 रुपए प्रति लीटर तक खरीद रहे हैं।
डेयरी अफसरों की उदासीनता के कारण ऊंटनी का दूध सरस डेयरी के उत्पादों में शामिल नहीं हो सका। इस कारण यह आमजन की पहुंच से दूर है। इधर सरस व निजी डेयरी में वह 25 से 30 रुपए प्रति लीटर तो ऊंटपालकों की डेयरियों पर 60 रुपए प्रति लीटर तक खरीद रहे हैं।
ऊंटनी का दूध ऑटिज्म समेत कई रोगों में चमत्कारी होने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने में भी उपयोगी है। हाल ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत कर इसकी उपयोगिता बताई और इसके लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने की मांग की है। पिछली सरकार ने इसके लिए प्रयास भी किए लेकिन संबंधित फाइलें आगे नहीं बढ़ पाई। अफसर जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते।
गोवर्धन राईका, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान पशुपालन बोर्ड
गोवर्धन राईका, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान पशुपालन बोर्ड
फैक्ट फाइल
9 हजार लीटर से ज्यादा ऊंटनी के दूध का रोजाना हो रहा उत्पादन।
300 लीटर से ज्यादा दूध राजस्थान से बाहर भेज रहे ऊंटपालक।
250 से 300 रुपए प्रति लीटर के भाव में बिक रहा ऊंटनी का दूध।
9 हजार लीटर से ज्यादा ऊंटनी के दूध का रोजाना हो रहा उत्पादन।
300 लीटर से ज्यादा दूध राजस्थान से बाहर भेज रहे ऊंटपालक।
250 से 300 रुपए प्रति लीटर के भाव में बिक रहा ऊंटनी का दूध।