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जयपुर

सड़कों पर आवारा पशु, निगम की आंखें बंद

क्षेत्र में सड़कों पर हर समय रहता है खतरा, कहीं नुकसान नहीं पहुंचा दे आवारा मवेशी

जयपुरMay 18, 2018 / 06:35 pm

Avinash Bakolia

jaipur news

सड़कों पर आवारा पशु, निगम की आंखें बंद

आवारा पशु क्षेत्र में खुले में नहीं घूम सकें, इसके लिए नगर निगम प्रशासन की ओर से सालाना करोड़ों का ठेका दिया जाता है। इसके बावजूद भी प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। ए ब्लॉक, बी-ब्लॉक, सेक्टर-९ सहित कई जगहों पर पिछले कई दिनों से आवारा पशुओं को लेकर इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। मालवीय नगर पत्रिका की पड़ताल।
पहले अर्जेंटीनाके पर्यटक जॉन लाम्पे की मौत और अब इनकम टैक्स कॉलोनी निवासी रजनी भावनानी को गाय ने सींग मारकर घायल करने के बाद भी नगर निगम नहीं चेत रहा है। नगर निगम की नाकाफी साबित करने के लिए यह काफी है। निगम क्षेत्र में खुले घूम रहे पशुओं व शहरी क्षेत्र में संचालित डेयरियों को लेकर सजगता नहीं दिखा रहा है। ए ब्लॉक, बी-ब्लॉक, सेक्टर-९ ऐसे कई इलाके हैं, जहां आवारा पशु खुलेआम उत्पात मचाते देखे जा सकते हैं। यदि सड़क पर विचरते आवारा पशुओं के पकडऩे की व्यवस्था नहीं की गई, तो बड़ा हादसा हो सकता है।
नगर निगम के अधिकारियों का हमेशा यही तर्क रतहा है कि आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए समय-समय पर अभियान शुरू किया जाता है। सवाल यह उठता है कि यदि सही तरीके से अभियान को अमलीजामा पहनाया जाए, तो आवारा पशुओं द्वारा घायल करने की घटनाएं कम होती। नगर निगम महज औपचारिकता ही निभाती दिख रही है।
लगता है जाम

आवारा पशुओं के सड़क पर आ जाने से कई बार जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। गायों और सांडों के स्वछंद होकर सड़कों पर घूमने से वाहनचालकों को आने-जाने में तो परेशानी होती ही है। साथ ही दुर्घटना की संभावना भी बनी रहती है। इन पशुओं के कहीं पर भी खड़े हो जाने से यातायात बाधित हो जाता है और वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। जो सड़कों पर जाम का कारण बनता है।
डिवाइडर के पौधों को पहुंचाते हैं नुकसान

डिवाइडर पर लगे पेड़-पौधों की हरियाली देखकर पशु उन्हें खाने के लिए सड़क के पास खड़े रहते हैं। इसके अलावा सड़क किनारे रखे कचरा पात्र के आस-पास भी पशु मंडराते रहते हैं। कचरा पात्र में फैंके खाद्य पदार्थों के कारण सड़क पर ही पशु गंदगी फैलाते रहते हैं।
मंडियों के पास लगता है जमघट

मंडियों में सब्जियों और फलों के ठेले लगे होने के कारण पशुओं के झुंड एकत्रित हो जाते हैं। वहां खरीदारी करने वालों के पास होकर गुजरते हैं। ऐसे में आवारा पशु लोगों के पीछे भी पड़ जाते हैं। भीड़ होने के कारण कई बार लोग चोटिल हो जाते हैं।
तीन साल पहले चला था अभियान

जानकारी के अनुसार क्षेत्र में आवारा मवेशियों को पकडऩे का अभियान तीन साल पहले किया गया था। इसके बाद से आज तक ऐसो कोई अभियान शुरू नहीं किया गया। उधर निगम के अधिकारियों का दावा है कि हर साल इस तरह का अभियान चलाया जाता है। क्षेत्र में हालात यह हो गए हैं अधिक संख्या में आवारा मवेशी सड़कों पर विचरते रहते हैं।
सड़क किनारे कचरा पत्र पर मंडराते रहते पशु

दुकान और ठेले के आगे डस्टबिन रखे गए हैं। इन कचरा पात्रों के पास गाय और सांड का जमघट लगा रहता है। इन कचरा पात्रों को समय से खाली नहीं किया जाता है। ऐसे में उनसे कचरा बाहर आ रहा है, इसमें खाने के छिलके और अन्य खाद्य पदार्थों की तलाश में लावारिस पशु यहां खड़े रहते हैं।
वर्जन

आवारा मवेशियों को पकडऩे के लिए निगम के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। महीने में एक-दो बार गाड़ी मंगवाकर आवारा पशुओं को पकड़वाया जाता है। अवैध डेयरियों पर कार्रवाई के लिए टीम के आने से पहले ही सूचना लीक होने से पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पाती है।
अशोक गर्ग, पार्षद, वार्ड- ५३

आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए निगम कार्रवाई करता है, लेकिन कई अधिकारी सुनवाई करते ही नहीं है। नियमित रूप से कार्रवाई की जाए तो एक भी आवारा पशु सड़कों पर घूमता नहीं नजर नहीं आएगा।
शालीनी चावला, पार्षद, वार्ड- ५२

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