सवाई मानसिंह अस्पताल के प्रवक्ता डॉ.एस.एस.यादव ने बताया कि टीचर नाम की यह तकनीक केंसर के मरीजों में ऑपरेशन की सबसे जटिलतम तकनीक है। यह तकनीक भारत के चुनिंदा अस्पतालों में ही मौजूद है। इस सर्जरी में कैंसरग्रस्त मरीज की दाए तरफ की कमर की पूरी हड्डी के साथ पूरा कुल्हे का ज्वाइंट एक साथ निकालकर पांव की बची हड्डी को सीधे रीढ़ की हड्डी पर अटैच कर कल्हे का ज्वाइंट बनाया गया। इससे पहले इस तरह के मरीजों को सिर्फ रेडियोथैरेपी या कीमोथैरीपी देकर पैलेइटीव इलाज किया जाता था।
यह सर्जरी अलवर के कठूंबर की 63 वर्ष की महिला है। मरीज को पहली बार छह माह पहले कमर दर्द हुआ था। महिला ने झाड़-फूंक एवं मालिश वालों को दिखाया, आराम नहीं मिला। बाद में उसने यहां सवाई मानसिंह अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाया। यहां जांचों के बाद कैंसर कोन्ड्रोसार्कोमा का पता चला। कैंसर के अत्यधिक फैलाव होने के कारण मरीज को समझाया गया तथा ऑपरेशन में जान का खतरा होने के बारे भी बताया गया। मरीज की दृढ़ इच्छा एवं परिजनों के सहयोग को देखते हुए सर्जरी का प्लान की गई, जो सफल रही।
अस्पताल में यह सर्जरी 19 फरवरी को सर्जिकल आंकोलॉजी, अस्थि रोग विभाग एवं एनेस्थिसिया विभाग के संयुक्त प्रयासों से हुई। जिसमें प्रो. डॉ. राजगोविंद शर्मा, डॉ. सुरेश सिंह, डॉ. राजकुमार हर्षवाल, डॉ. पीनाकिट पटेल, डॉ. कमल किशोर लेखेरा, डॉ. रमेश चन्द्र सुनार एवं डॉ. योगेश मोदी आदि शामिल थे। इस सर्जरी के सफल प्रयोग से अब एसएमएस अस्पताल में आने वाले कैंसर रोगियों को फायदा होगा और कम खर्चे पर अच्छा उपचार करा सकेंगे।