जयपुर

एक टेस्ट से ही मालूम होगी हार्ट मसल्स की फंक्शनिंग

Cardiac Imaging Conference : Heart Attack होने के बाद Patient के Heart की Muscle यदि मर जाती हैं तो यह आगे चलकर बहुत घातक साबित हो सकती हैं। हार्ट के लिए नुकसानदायक होने के साथ-साथ स्टेंटिंग करने और Treatment की अन्य प्रक्रियाओं में भी यह बाधा उत्पन्न कर देती है। ऐसे में हार्ट के अत्याधुनिक वायबिलिटी Test से इसका तुरंत पता चल जाता है, जिससे इन्हें छेड़े बिना Doctor आसानी से इलाज कर सकते हैं। यह जानकारी विभिन्न Experts ने Cardiac Imaging पर शुरू हुई Conference में दी।

जयपुरSep 26, 2019 / 07:34 pm

Anil Chauchan

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Cardiac Imaging Conference : जयपुर . हार्ट अटैक ( Heart Attack ) होने के बाद मरीज ( Patient ) के हृदय ( Heart ) की मांसपेशियां ( Muscle ) यदि मर जाती हैं तो यह आगे चलकर बहुत घातक साबित हो सकती हैं। हार्ट के लिए नुकसानदायक होने के साथ-साथ स्टेंटिंग करने और इलाज ( Treatment ) की अन्य प्रक्रियाओं में भी यह बाधा उत्पन्न कर देती है। ऐसे में हार्ट के अत्याधुनिक वायबिलिटी टेस्ट ( Test ) से इसका तुरंत पता चल जाता है, जिससे इन्हें छेड़े बिना डॉक्टर ( Doctor ) आसानी से इलाज कर सकते हैं। यह जानकारी विभिन्न विशेषज्ञों ( Experts ) ने कार्डियक इमेजिंग ( Cardiac Imaging ) पर शुरू हुई कॉन्फ्रेन्स ( Conference ) में दी।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ कार्डियक इमेजिंग (आईएसीआई) की ओर से तथा इटरनल हॉस्पीटल के सहयोग से आयोजित कॉन्फ्रेन्स में भारत के विभिन्न राज्यों से 300 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस की आयोजन सचिव डॉ. सुमन सिंघल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में अमेरिका, चीन, जापान सहित पहले दिन दो प्रमुख वर्कशॉप हुईं, जिसमें विशेषज्ञों ने 40 से 50 केस प्रस्तुत किए। इस दौरान बच्चों व व्यस्कों में होने वाले हृदय रोग की जांचों की नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
विभिन्न सत्रों में मुंबई के डॉ. हेमंत तेलकर, कोच्ची के डॉ. राजेश कानन, अमेरिका के डॉ. एडम डॉर्फमैन, व डॉ. जसमीत साहनी ने कार्डियक इमेजिंग की नई तकनीकों की जानकारियां साझा की। बेंगलुरू के डॉ. विमल राज ने बताया कि हार्ट अटैक के बाद प्रभावित हिस्से में मांसपेशियों की कार्यक्षमता का सटीकता से पता लगाने के लिए अब वायबिलिटी टेस्ट आ गया है। कार्डियक एमआरआई के वायबिलिटी टेस्ट से यह जान सकते हैं कि कितनी मांस पेशिया मर चुकी हैं और कितनी कार्य कर रही हैं। इससे मृत मांसपेशियों को छेड़े बिना स्टेंटिंग करने में आसानी होती है।

ब्लॉकेज के बाद रक्त प्रवाह के लिए सीटी एफएफ आार तकनीक ..
आईएसीआई के अध्यक्ष डॉ. संजया विश्वामित्र ने बताया कि अगर दो मरीजों को हार्ट में एक जैसा ब्लॉकेज हैं, लेकिन उसके बाद का रक्त प्रवाह अलग-अलग है तो दोनों का अलग उपचार होगा। रक्त प्रवाह पता करने के लिए सीटी एफएफआर तकनीक आई है, जिसमें ब्लॉकेज तक कैथेटर डालकर रक्त प्रवाह से जुड़ा डेटा एकत्र कर लिया जाता है और उसे देखकर ही आगे का इलाज किया जाता है।

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