scriptचोट लगे या जान जाए, इन्हें परवाह नहीं | careless city buses from the lives of passengers | Patrika News

चोट लगे या जान जाए, इन्हें परवाह नहीं

locationजयपुरPublished: Jan 02, 2018 03:36:10 pm

Submitted by:

Vikas Jain

बीच सड़क चढ़ातेे-उतारते हैं सवारियां ,गिरने और दूसरे वाहनों से टकराने की होती रहती घटनाएं,नहीं होती कार्रवाई

 Unprecedented city buses
टोंक रोड। राजधानी की सड़कों पर दौड़ रही मिनी बसें, लो फ्लोर बसों को चलते-फिरते हादसों का सबब कहा जा सकता है। यात्रियों की जान की परवाह किए बगैर बीच सड़क पर इन वाहनों को रोककर सवारियां उतारी-चढ़ाई जा रही है। जिससे आए दिन फिसलकर गिरने और दूसरे वाहनों से टकराकर चोटिल होने की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। यात्रियों की सुरक्षा और शहर के टै्रफिक से खिलवाड़ के बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। शहर की लाइफ लाइन टोंक रोड कोचिंग हब है जहां रोजाना लाखों छात्रों का आना जाना लगा रहता है। इसके अलावा कई नौकरीपेशा लोगों का भी तांता लगा रहता है। ऐसी भागमभाग में कोई हादसा नहीं हो इसलिए सावधानी बरतना बहुत आवश्यक है। पेश है रिपोर्ट…
किसी को नहीं परवाह

नगरीय परिवहन व्यवस्था के तहत संचालित मिनी बसें-लो फ्लोर बसों का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुविधा-सुरक्षा है। दुखद है पर इसे ही ध्यान में नहीं रखा जा रहा। स्टैण्ड पर रोकने के बजाए चालक बसों को सड़क के बीच में रोककर यात्रियों को उतरने को कह देते हैं। बसें भी पूरी तरह नहीं रोककर मात्र उसकी गति धीमी की जाती है। प्रयास यह रहता है कि यात्री चलती बस से ही उतर जाए। इसके पीछे कारण जल्द से जल्द आगे निकलना और अधिक से अधिक सवारियों को लेना रहता है। आगे की सवारी को पाने की होड़ में बस में बैठी सवारियों की जान जोखिम में डाल दी जाती है।
चोट लगे या जान जाए, इन्हें परवाह नहीं

चालक-कंडक्टर सड़क के बीच में यात्रियों को उतार देते हैं। बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग कई बार उतरने के दौरान अपना संतुलन नहीं रख पाते और गिरकर चोटिल हो जाते हैं। चलती बस से उतरने के दौरान यात्रियों को ध्यान नहीं रहता और पीछे से सड़क पर आ रहे वाहन से टकरा जाते हैं। जिससे चोट तो लगती है और आपस में विवाद भी हो जाता है। लापरवाही का यह मंजर रामबाग, टोंक फाटक, सांगानेर, २२ गोदाम, सहित राजधानी के भीतरी-बाहरी रूट पर देखा जा सकता है।
अपना ध्यान तो खुद रखें

मिनी बसें-लो फ्लोर बसें लापरवाही से यात्रियों को ढो रही हैं, तो यात्री भी अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूक नहीं हैं। क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जाती है तो सवारियां भी भरी बस में चढऩे से गुरेज नहीं करते हैं। यहां तक की विद्यार्थी वर्ग तो दरवाजे पर लटककर भी यात्रा करने लगते हैं। इसी तरह सड़क के बीच उतारने पर विरोध दर्ज नहीं कराया जाता और न ही यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को शिकायत की जाती है। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग भी कार्रवाई के नाम पर खानापूॢत करता है।
हर रूट पर स्टैण्ड

रामबाग, टोंक फाटक, सांगानेर, २२ गोदाम, ट्रांसपोर्ट नगर सहित राजधानी के भीतरी-बाहरी रूट पर मिनी बसें और लो फ्लोर बसेंं संचालित है। यात्रियों को चढ़ाने-उतारने और इंतजार के दौरान बैठने के लिए सड़क के किनारे स्टैण्ड बनाए हुए हैं। व्यवस्था यह की हुई है कि बसें इन स्टैण्ड पर सड़क किनारे रुकें और यात्रियों को सुरक्षित उतारे-चढ़ाऐं। इस दौरान सड़क का यातायात भी बाधित न हो यह भी ध्यान रखा जाए।
इनका कहना है

मिनी बस में बहुत धक्का मुक्की होती है और बस वाले कई बार बदत्तमीजी से पेश आते हैं।
– पूनम शर्मा, स्टूडेंट

मिनी बस में लोगों को इतना भर देते हैं कि कदम रखने की जगह नहीं रहती हैं। चलती बस में चढऩे-उतरने से कई बार गिरते-गिरते बची हूं।
– रूबल, स्टूडेंट

यातायात पुलिस नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहनों पर समय समय पर कार्रवाई करती रहती है। चालान करने सहित कई बार तो वाहन भी जब्त किए जाते हैं। यात्रियों को भी अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
-के पी सिंह, पुलिस निरीक्षक, यातायात क्षेत्र, पूर्व
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