scriptअपनी नहीं तो अपनों की सोचें… 1 मिनट में बच सकती है आपकी जिंदगी | Cases of Suicide: Not Stopping in the State | Patrika News

अपनी नहीं तो अपनों की सोचें… 1 मिनट में बच सकती है आपकी जिंदगी

locationजयपुरPublished: Sep 10, 2019 08:20:04 pm

Submitted by:

anil chaudhary

Cases of Suicide: प्रदेश में Suicide के मामले रूक नहीं पा रहे हैं। हालांकि Last Ten Years की बात करें तो Suicide Cases में कमी आई है पर आत्महत्या के मामलों में Children का शामिल होना एक बड़ा चिंता का विषय बन गया है। World Suicide Day पर दिखाते हैं एक Special Report

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Cases of Suicide: प्रदेश में अत्महत्या ( Suicide ) के मामले रूक नहीं पा रहे हैं। हालांकि पिछले दस साल ( Last Ten Years ) की बात करें तो आत्महत्या के मामलों ( Suicide Cases ) में कमी आई है पर आत्महत्या के मामलों में बच्चों ( Children ) का शामिल होना एक बड़ा चिंता का विषय बन गया है। विश्व आत्महत्या दिवस ( World Suicide Day ) पर दिखाते हैं आपको दिखाते हैं एक खास रिपोर्ट ( Special Report ) …
वर्तमान दौर की जीवन शैली में लोगों में तनाव और मानसिक अवसाद बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके चलते व्यक्तियों में आत्महत्या की प्रवृति बढने लगी है, ऐसे में ग्रामीण और शहरी स्तर पर समुदाय के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में सेतु के रूप में काम करने वाली आशाओं कार्यकर्ता की भूमिका और अधिक बढ़ गई है। यदि आपको आपके आस.पास कोई व्यक्ति लम्बे समय से निराशजनक व अवसादग्रस्त अवस्था में दिखाए दे तो उसे तुरंत जिला अस्पताल में मनोचिकित्सक अथवा विशेषज्ञों के पास उचित स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रेफर करें। राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इलाज नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है।
ग्राफिक के लिए
बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले
वर्ष पुरुष महिला कुल
2007 3151 1279 4430
2008 3602 1564 5166
2009 3511 1554 5065
2010 3365 1555 4920
2011 3016 1332 4348
2012 3227 1594 4821
2013 3377 1483 4860
2014 3235 1224 4459
2015 2537 920 3457
2016 2587 1090 3677
2017 2641 1124 3765
एसआरकेपीएस संस्था के सचिव राजन चौधरी ने विश्व आत्महत्या दिवस की इस साल की थीम पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में सभी को साथ मिलकर आत्महत्या मुक्त राजस्थान बनाने पर एक साथ काम करने की जरुरत है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2005 से 2015 के बीच 14 लाख से अधिक लोगों ने सुसाइड की है। पारिवारिक समस्याएं, झगड़, लंबी बीमारी से होने वाली शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानियां, डिप्रेशन, कर्जा, दिवालियापन, वैवाहिक रिश्तों में अनबन व बेरोजगारी आत्महत्या के प्रमुख कारण बन कर उभर रहे है।
वर्ष 2007 से वर्ष 2017 तक हुए आत्महत्या के मामले
– पुरुष कुल संख्या – 34 हजार 248 (70 प्रतिशत)
– महिलाएं कुल संख्या – 14हजार 719 (30 प्रतिशत)
– पुरुष और महिलाओं को मिलाकर – 48 हजार 969
ये आंकड़े व हालात सरकार और समाज दोनों को चेताने वाले हैं। प्रदेश में आत्महत्या रोकथाम के लिए सरकार को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2017 कानून का मजबूती से क्रियान्वन करने की आवश्यकता है। साथ ही राज्य सरकार को आत्महत्या मुक्त राजस्थान के बनाने के लिए आत्महत्या रोकथाम नीति बनाने पर भी तुरंत प्रभाव से काम चालू कर देना चाहिए।

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