वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते बन्दरों को खाने-पीने के लिए कुछनहीं मिल रहा। भूख से बेहाल बन्दर यहां-वहां भटक रहे हैं। बड़ी संख्या में बन्दर बड़ी चौपड़ समेत आसपास के क्षेत्र में सड़कों पर बैठे और घरों पर कूदते नजर आते हैं।
बन्दर घरों, खिड़कियों, बॉलकनी, बरामदे और कई बार घर के भीतर तक कूदते-फांदते हैं। फ्रिज तक खोलकर खाने-पीने की चीजें ले जाते हैं। रामगंज में सर्वाधिक संक्रमित मिले हैं, जहां कोई बन्दर संक्रमित हुआ तो उसकी पहचान करना ही खासा मुश्किल होगा। मॉनिटरिंग करना भी चुनौतीपूर्ण है। वन विभाग के पास जांच कराने के इंतजाम भी नहीं हैं।
व्यवस्थाएं हाई अलर्ट पर और स्थिति नियंत्रण में है।
अभी तक एक भी बंदर बीमार होने की सूचना नहीं है।
अभयारण्य व चिडिय़ाघर में सतर्कता बरती जा रही है।
बिल्ली व वानर प्रजाति के जीवों की मॉनिटरिंग की जा रही है।
पिंजरे, तलाई, वाहन आदि को सैनिटाइज किया जा रहा है।
स्टाफ को मास्क, ग्लब्स पहनकर आने के निर्देश दिए गए हैं।
कोरोना संक्रमण का खतरा वन्यजीवों पर भी मंडरा रहा है?
न्यूयॉर्क में केस सामने आया है, पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
संक्रमित के सम्पर्क में आने पर बंदर में संक्रमण का खतरा है?
ऐसा कोई केस अब तक नहीं आया लेकिन गाइडलाइन आई है। इसमें मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं।
कोई बंदर संक्रमित हो तो उसकी पहचान कैसे होगी?
वानर टोली में रहते हैं। उनकी पहचान करना मुश्किल होता है। एक बीमार हुआ तो टोली के अन्य बंदर भी चपेट में आ जाते हैं। मॉनिटरिंग कर रहे हैं, किसी में लक्षण पाए गए तो उसकी जांच होगी।