कंसल्टैंट मेडिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ. विनय व्यास ने कहा कि एक खास तरह का लंग कैंसर जिसे श्नॉन.स्मॉल सैल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) कहा जाता हैए सभी तरह के लंग कैंसर के मामलों में 85 प्रतिशत पाया जाता है। ऐसे अधिकांश मामले देरी से पकड़ में आते हैं, क्योंकि शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते या दिखते भी हैं तो उन्हें दूसरा इंफेक्शन समझा जाता है। यही वजह है कि ऐसे में इलाज करना काफी चुनौतीपूर्ण बन जाता है। 2003 तक एडवांस एनएससीएलसी से पीडि़त मरीजों के उपचार के लिए एकमात्र विकल्प कीमोथेरेपी ही था और इससे मरीज का जीवन 8 से 10 महीने तक बचाया जा सकता थाए लेकिन हाल में इस क्षेत्र में हुई प्रगति ने टारगेटेड थेरेपी के रूप में एक विकल्प उपलब्ध करवाया है। जो मरीज़ों को कीमोथेरेपी की कमियों से उबारकर उनके जीवन में लगभग 45 महीने और जोड़ सकता है।
– धूम्रपान नहीं करने वाली महिलाओं में भी लंग कैंसर के मामले
– महिलाओं में लंग कैंसर से होने वाली मौत का 7वां बड़ा कारण
– पुरुषों में तीसरा सबसे प्रमुख कारण है लंग कैंसर से मौत
– देश में फेफड़े के कैंसर के 67 हजार नए मामले हर साल