टोंक (tonk) के इकबाल मियां एवं ग्रुप ने ‘बे नियाज अव्वलो आखिर खुदा तू ही तो है…,’ के बाद मतला और मकता के शेरों को पेश किया। उन्होंने ‘हर तरफ तीरे नजर का मैं निशाना हो गया, मुझको क्या शोहरत मिली दुश्मन जमाना हो गया…’ चाहर बैत के पहले शेर को पेश किया, जिसे उन्होंने मतला कहा, उसके बाद कलाकारों ने चार पक्तियों में अन्य शेर कहे, जिसे उन्होंने मकता कहा, फिर गीत की तरह पहला शेर वापस पढ़कर पार्टियों ने एक चाहर बैत को मुकम्मल करते हुए आगे के अशआरों को पेश किया। इसमें उस्ताद मोहम्मद आसिफ के अलावा वजीर मोहम्मद, खलीफा मोहम्मद बासित, गुडडू महराब, अब्दुल जब्बार आदि ने अपनी इस पुरानी कला (art) को जीवंत (alive) किया।
मुस्करा (smile) कर किसने देखा मुझको चिलमन के करीब इस मौके पर भोपाल (Bhopal) के मोहम्मद मुख्तियार एवं ग्रुप ने शुरूआत में नात के जरिए अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘हबीब-ए-हक शफी यह हुस्न…,’ पेशकर सूफियाना और आशिकाना कलाम पेश किए। उन्होंने आशिकाना कलाम ‘मुस्करा कर किसने देखा मुझको चिलमन के करीब, गिर पड़ी बिजली तड़प कर दिल की धड़कन के करीब…, से दर्शकों की वाह-वाही लूटी। संचालन उद्घोषिका सालेहा गाजी ने किया।
पत्रवाचन एवं दास्तांगोई (story telling) कार्यक्रम आज जवाहर कला केंद्र (JKK) के अतिरिक्त महानिदेशक फुरकान खान ने बताया कि विरसा समारोह (VIRSA 2019 festival) के तहत शनिवार को शाम 7 बजे पत्रवाचन और दास्तांगोई का आयोजन किया जाएगा। जिसमें कानपुर के दयानंद गल्र्स पीजी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिना अफ्शा कदीम दौर में दास्तांगोई विषय पर पत्रवाचन पेश करेंगी। इसके बाद कलाकार फौजिया दास्तांगो एवं फिरोज खान 50 मिनट की ‘दास्तां-ए-महाभारत (soty of mahabharat)’ पेश करेंगे।