यह रहेगा घटस्थापना का श्रेष्ठ समय
नवरात्रा के घटस्थापना का श्रेष्ठ समय प्रात:काल में ही माना गया है। ज्योतिषि पं. गोविन्द शर्मा ने बताया कि देवी पुराण में प्रात:काल की बेला में ही देवी के आह्वान, घटस्थापना, पूजा आदि का विधान बताया गया है। इस वर्ष चैत्रशुक्ल प्रतिपदा को प्रात: 6 बजकर 36 मिनट से 10 बजकर 36 मिनट तक का समय घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ है। इसके अलावा अभिजित काल में दोपहर 12:10 से 12:57 मिनट तक एवं द्वि स्वभाव लग्न मिथुन में प्रात: 11:29 से दोपहर 1:43 बजे तक भी घटस्थापना की जा सकती है।
नवरात्रा के घटस्थापना का श्रेष्ठ समय प्रात:काल में ही माना गया है। ज्योतिषि पं. गोविन्द शर्मा ने बताया कि देवी पुराण में प्रात:काल की बेला में ही देवी के आह्वान, घटस्थापना, पूजा आदि का विधान बताया गया है। इस वर्ष चैत्रशुक्ल प्रतिपदा को प्रात: 6 बजकर 36 मिनट से 10 बजकर 36 मिनट तक का समय घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ है। इसके अलावा अभिजित काल में दोपहर 12:10 से 12:57 मिनट तक एवं द्वि स्वभाव लग्न मिथुन में प्रात: 11:29 से दोपहर 1:43 बजे तक भी घटस्थापना की जा सकती है।
इस बार आद्रा नक्षत्र में मनेगी रामनवमी इस वर्ष चैत्र नवरात्रा के दौरान रामनवमी पर्व 25 मार्च को आद्रा नक्षत्र में मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्रशुक्ल नवमी को पुष्य नक्षत्र में हुआ था, लेकिन इस बार तिथियों के आगे-पीछे होने से रामनवमी पर आद्रा नक्षत्र रहेगा। इस बार अष्टमी तिथि क्षय होने से इसी दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर शहर के राम मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन होंगे।
सप्तमी युक्त अष्टमी में महाअष्टमी की ज्योत निषेध नवरात्रा के दौरान कई लोग महाअष्टमी पर कुलदेवी की ज्योत देखकर नवरात्रा विसर्जन करते हैं तो कई महानवमी पर नवरात्रा का विसर्जन करते हैं। इस बार सप्तमी तिथि 24 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी जो कि 25 मार्च को सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। देवी भावगत के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी होने पर उस दिन महाअष्टमी की ज्योत देखना अशुभ माना गया है। इसलिए महाअष्टमी की ज्योत भी 25 मार्च को ही देखी जानी चाहिए।
पं. केदारनाथ दाधीच, ज्योतिष मर्मज्ञ