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साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 को, नहीं लगेगा सूतक

locationजयपुरPublished: Jan 08, 2020 08:01:41 am

Submitted by:

dinesh

Chandra Grahan 2020: वर्ष का पहला चंद्रग्रहण ( Chandra Grahan 2020 ) शुक्रवार को दिखाई देगा। रात्रि 10.38 बजे से मध्य रात्रि 2.42 बजे तक दिखने के साथ ही यह मध्य रात्रि 12.40 बजे ग्रहण चरम पर रहेगा, जिसमें चंद्रमा का 85 प्रतिशत भाग उपछाया से ढक जाएगा…

जयपुर। इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण ( chandra grahan 2020 ) शुक्रवार को दिखाई देगा। रात्रि 10.38 बजे से मध्य रात्रि 2.42 बजे तक दिखने के साथ ही यह मध्य रात्रि 12.40 बजे ग्रहण चरम पर रहेगा, जिसमें चंद्रमा का 85 प्रतिशत भाग उपछाया से ढक जाएगा। यह चंद्रग्रहण माद्य चंद्र ग्रहण कहलाएगा तथा यह भारत और एशिया के सभी देशों सहित यूरोप, अटलांटिक महासागर, अफ्रीका तथा ऑस्टे्रलिया में भी दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक मंद पडऩे की क्रिया को माद्य कहा जाता है। माद्य चंद्रग्रहण ( Lunar Eclipse of 2020 ) होने से यह ग्रहण चंद्रमा को धुंधला ही कर पाएगा तथा चंद्रमा की कला में कोई कमी नहीं आएगी। वहीं, इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरेगा। साथ ही यह एक खगोलीय घटना के रूप में ही मान्य रहेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा की कला कम नहीं होने से दान पुण्य और सूतक की आवश्यकता नहीं रहेगी। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह खास होगा। ग्रहण से पृथ्वी के वायुमंडल मे मौजूद प्रदूषण की मात्रा का पता लगाया जाएगा।
इस वर्ष चार चंद्रग्रहण, 2 सूर्य ग्रहण
गौरतलब है कि 10 जनवरी को पहले चंद्रग्रहण के बाद 5 जून, 5 जुलाई तथा 30 नवंबर, 20 को चंद्र ग्रहण पड़ेगा। वहीं, 21 जून को सूर्यग्रहण पड़ेगा, जो कि भारत में दिखाई देगा व 14 दिसंबर, 20 को भी सूर्य ग्रहण पड़ेगा, लेकिन यह भारत में नहीं दिखाई देगा।
नहीं पड़ेगा कोई खास फर्क
बिड़ला तारामंडल के सहायक निर्देशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि खुली आंखों या दूरदर्शी समान दर्पण (दूरबीन) द्वारा इसे देखा जा सकता है। इसका खास फर्क नहीं पड़़ेगा। किसी भी समयावधि में सूर्य ग्रहण के एक महीने या इसके बाद चंद्रग्रहण जरूर होता है। चंद्रमा और पृथ्वी का कक्षीय तल 5 अंश 9 कला डिग्री पर झुके होने के कारण ग्रहण 100 प्रतिशत नहीं होगा। माद्य चंद्र ग्रहण में सूर्य का कुछ प्रकाश पहुंचता है, जिससे पृथ्वी की पूर्णछाया नहीं होती। इस स्थिति को उपछाया कहते हैं।
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