विक्रम से साधा जा सकता है संपर्क
एंटीना का रुख ऑर्बिटर की ओर होगा तो जुड़ सकता है संचार
ऑर्बिटर ने खोजी विक्रम की लोकेशन
हमारे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर उम्मीदें अभी बरकरार हैं… खुशी की बात यह है कि लैंडर विक्रम सही सलामत है… भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह पर मौजूद विक्रम क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। वह सतह पर एक तरफ झुका हुआ पड़ा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे लगातार संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं… विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीद उन्होंने नहीं छोड़ी है.. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर साबुत अवस्था में है और
यह टूटा नहीं है। हालांकि, हार्ड लैंडिंग की वजह से यह झुक गया है तथा इससे पुन: संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है.. विक्रम को सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर उसे हार्ड लैंडिंग का शिकार होना पड़ा।
इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने विक्रम की सलामती की जानकारी मिलने पर कहा कि विक्रम से दोबारा संपर्क साधे जाने की अब भी 70 फीसदी तक संभावना है। वहीं, वैज्ञानिक और डीआरडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक वीएन झा ने भी कहा कि किसी भी दिन विक्रम से इसरो केंद्र का संपर्क जुड़ सकता है।इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, ऐसे में विक्रम से अब भी संपर्क हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि विक्रम का एंटीना ग्राउंड स्टेशन या फिर ऑर्बिटर की ओर होगा तो उससे संपर्क की उम्मीद बढ़ सकती है। मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक ने बताया, विक्रम का ऊर्जा का खपत करना कोई मुद्दा नहीं है। उसे यह ऊर्जा सौर पैनलों से ही मिल सकती हैं, जो उसके चारों ओर हैं और अपनी अंदरूनी बैटरियों से भी उसे यह ऊर्जा हासिल हो सकती है। उन्होंने बताया कि इसरो की एक टीम इसरो टेलीमेट्र्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क पर विक्रम से संचार कायम करने के काम में दिन-रात लगी हुई है। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि चांद के आसमान में चक्कर काट रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एजेंसी के लिए बेहद खास है… ये काफी हद तक समस्याओं का समाधान करने में सहायक होगा… ऑर्बिटर में इतना ईंधन है कि वह निर्बाध गति से अपने काम को सात साल तक बखूबी अंजाम देता रहेगा। एजेंसी के वैज्ञानिक अब ऑर्बिटर के पहले से तय एक साल के कार्यकाल को बढ़ाकर सात साल तक करने जा रहे हैं, जिससे मिशन के बाकी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। यह चंद्रमा के वजूद और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ऑर्बिटर पर लगा हाई रिजोल्यूशन वाला कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में लगने वाले कैमरों में सबसे बड़ा है।
एंटीना का रुख ऑर्बिटर की ओर होगा तो जुड़ सकता है संचार
ऑर्बिटर ने खोजी विक्रम की लोकेशन
हमारे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर उम्मीदें अभी बरकरार हैं… खुशी की बात यह है कि लैंडर विक्रम सही सलामत है… भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह पर मौजूद विक्रम क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। वह सतह पर एक तरफ झुका हुआ पड़ा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे लगातार संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं… विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीद उन्होंने नहीं छोड़ी है.. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर साबुत अवस्था में है और
यह टूटा नहीं है। हालांकि, हार्ड लैंडिंग की वजह से यह झुक गया है तथा इससे पुन: संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है.. विक्रम को सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर उसे हार्ड लैंडिंग का शिकार होना पड़ा।
इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने विक्रम की सलामती की जानकारी मिलने पर कहा कि विक्रम से दोबारा संपर्क साधे जाने की अब भी 70 फीसदी तक संभावना है। वहीं, वैज्ञानिक और डीआरडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक वीएन झा ने भी कहा कि किसी भी दिन विक्रम से इसरो केंद्र का संपर्क जुड़ सकता है।इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, ऐसे में विक्रम से अब भी संपर्क हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि विक्रम का एंटीना ग्राउंड स्टेशन या फिर ऑर्बिटर की ओर होगा तो उससे संपर्क की उम्मीद बढ़ सकती है। मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक ने बताया, विक्रम का ऊर्जा का खपत करना कोई मुद्दा नहीं है। उसे यह ऊर्जा सौर पैनलों से ही मिल सकती हैं, जो उसके चारों ओर हैं और अपनी अंदरूनी बैटरियों से भी उसे यह ऊर्जा हासिल हो सकती है। उन्होंने बताया कि इसरो की एक टीम इसरो टेलीमेट्र्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क पर विक्रम से संचार कायम करने के काम में दिन-रात लगी हुई है। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि चांद के आसमान में चक्कर काट रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एजेंसी के लिए बेहद खास है… ये काफी हद तक समस्याओं का समाधान करने में सहायक होगा… ऑर्बिटर में इतना ईंधन है कि वह निर्बाध गति से अपने काम को सात साल तक बखूबी अंजाम देता रहेगा। एजेंसी के वैज्ञानिक अब ऑर्बिटर के पहले से तय एक साल के कार्यकाल को बढ़ाकर सात साल तक करने जा रहे हैं, जिससे मिशन के बाकी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। यह चंद्रमा के वजूद और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ऑर्बिटर पर लगा हाई रिजोल्यूशन वाला कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में लगने वाले कैमरों में सबसे बड़ा है।