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chandrayaan-2 : चंद्रयान के बाद शुक्र और मंगल की बारी

locationजयपुरPublished: Sep 06, 2019 12:33:17 am

Submitted by:

Suresh Yadav

Jaipur News : इसरो (isro) के पूर्व वैज्ञानिक ने स्टूडेंट्स और फैकल्टीज से शेयर किए अनुभव

chandrayaan-2 : चंद्रयान के बाद शुक्र और मंगल की बारी

chandrayaan-2 : चंद्रयान के बाद शुक्र और मंगल की बारी

जयपुर।
चंद्रयान-2 (chandrayaan-2) की सफलता के बाद अब शुक्र और मंगल पर अपना ग्रह भेजने की दिशा में काम चल रहा है। यह कहना था गुरूवार को जयपुर आए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एमआरआर प्रसाद का। वे टीचर्स डे (teacher day) पर कूकस स्थित जयपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में साइंटिस्ट टॉक में मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि दो दिन बाद भारत (India) का यह मिशन (mission) पूरी तरह सफल (success) हो जाएगा। उन्होंने कहा कि चंद्रमा (Moon) के दक्षिणी ध्रुव पर पानी एवं खनिजों की बहुतायत है, जो हमारे लिए रिसर्च एवं सर्वाइवल के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है। वर्ष 2050 तक धरती पर जनसंख्या का इतना दबाव होगा, तब हमें चंद्रमा व अन्य ग्रहों पर मानव बसावट के बारे में सोचना ही होगा। इसीलिए इस प्रकार के मिशन चलाना आवश्यक हैं। इसरो में चंद्रयान-2 की सफलता के बाद मंगलयान और फिर शुक्र ग्रह पर अपने स्पेस क्राफ्ट भेजने की दिशा में भी काम चल रहा है।
स्पोन्सर्ड रिसर्च से मिलेगा बढ़ावा
अपने लेक्चर के दौरान उन्होंने इसरो में चल रहे स्पेस रिसर्च के विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इसरो इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए रिस्पॉन्ड (स्पोन्सर्ड रिसर्च) नाम से प्रोग्राम भी चला रहा है। साथ ही भारत के विभिन्न तकनीकी संस्थानों से भी प्रोजेक्ट्स आमंत्रित किए जा रहे हैं। ये प्रोजेक्ट्स किसी एक क्षेत्र में सीमित न रह कर मल्टी डिसिप्लनरी होने चाहिए, क्योंकि वहां शोध किसी एक विषय तक सीमित नहीं है। उन्होंने नोवामीन, थ्रीडी मेटल प्रिन्टिंग, ऑटो रिपेयर ऑफ प्लेन एंड फोन आदि नवीनतम तकनीकों के विकास पर प्रकाश डाला।
सबसे कम खर्चे पर भेजा चंद्रयान
चंद्रयान-2 मिशन के बारे में छात्रों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि इस मिशन पर भारत ने लगभग 760 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो कि विश्व में सबसे कम है। इस मिशन की सफलता के बारे में उन्होंने कहा कि सब कुछ सुनियोजित प्रकार से ही हो रहा है। दूसरी कक्षा में प्रवेश करने के बाद अब मैनुवर के वेग को घटाया जा रहा है, ताकि चंद्रयान सही तरीके से धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह पर उतर सके।
एक विषय में अपने को सीमित न रखें
लगभग 38 वर्षों तक इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में अपनी सेवा के दौरान डॉ. प्रसाद ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डॉ. एपीजे कलाम के साथ कई स्पेस प्रोजेक्ट्स साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि वे बहुआयामी कार्यशैली में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे, जिनका कहना था कि छात्रों को किसी एक विषय में अपने ज्ञान को सीमित नहीं रखना चाहिए। किसी एक विषय में आपकी डिग्री केवल आपकी नियुक्ति के काम आती है। उसके बाद आपको विविध विषयों का ज्ञान होने पर ही आप स्पेस सेंटर से जुडे शोध कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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