मान्यता है कि इस अवधि में विष्णुजी योगनिद्रा में लीन रहते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित के अनुसार शास्त्रों में चातुर्मास में भगवान विष्णु की आराधना का महत्व बताया गया है। इस अवधि में रोज पूर्ण भक्तिभाव से भगवान विष्णु की पूजा—अर्चना करने से विष्णुजी के आशीर्वाद से जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं.चातुर्मास में व्रत रखा जाता है. व्रत रखनेवालों को कई नियमों का पालन करने का विधान है. इन चार माह के दौरान खासतौर पर खानपान और आचार—व्यवहार में शुदृधता का ध्यान रखने की बात कही गई है.
इसके लिए चातुर्मास में कई चीजों को प्रतिबंधित भी किया गया है. ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि इस अवधि में हरी सब्जी, घी—तैल, गुड आदि का त्याग करने की बात कही गई है. जो व्यक्ति इन चीजों का त्याग करता है, उन्हें इसके फल भी प्राप्त होते हैं. शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास में जो व्रती तेल का त्याग करता है, उसका कोई बाल—बांका भी नहीं कर सकता. उसके समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है।
गुड़ का त्याग करने पर साधक की वाणी कोमल हो जाती है, आवाज में मधुरता आ जाती है। जो साधक घी का त्याग करता है, उसकी सुंदरता बढ जाती है। हरी सब्जी छोडने पर बुद्धि बढ जाती है, शाक—सब्जी छोडने पर पुत्र लाभ भी प्राप्त होता हैं। दूध—दही का त्याग करने पर वंश वृद्धि होती है. नमक का त्याग करनेवाले व्रती की तो समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती है. उसके सभी कार्य में सफल होते हैं।