scriptजयपुर रेलवे स्टेशन के पास कैमिकल गोदाम में लगी भीषण आग, कई दुकानें और मकान आए चपेट में | Chemical factory fire in near by jaipur railway station 9 shops affect | Patrika News

जयपुर रेलवे स्टेशन के पास कैमिकल गोदाम में लगी भीषण आग, कई दुकानें और मकान आए चपेट में

locationजयपुरPublished: Nov 12, 2019 09:25:35 pm

आग ने मचाया कोहराम : विधायकपुरी थाना इलाके में कालवाड़ स्कीम का मामला, दो घंटे में 12 दमकलों ने पाया काबू, आधा दर्जन वाहन, 9 दुकान और कई मकान आए चपेट में

जयपुर रेलवे स्टेशन के पास कैमिकल गोदाम में लगी भीषण आग, कई दुकानें और मकान आए चपेट में

जयपुर रेलवे स्टेशन के पास कैमिकल गोदाम में लगी भीषण आग, कई दुकानें और मकान आए चपेट में

देवेन्द्र शर्मा / जयपुर. रेलवे स्टेशन के नजदीक कालवाड़ स्कीम में स्थित एक कैमिकल गोदाम में मंगलवार शाम को भीषण आग लग गई। आग के कारण कैमिकल के ड्रम धमाकों के साथ फटे और पूरे इलाके में दहशत फैल गई। घर, दुकान, वाहन ही क्या नालियों में भी आग बहती नजर आई। आग इतनी भयावह थी कि पलभर में ही आस-पास की नौ दुकान व मकानों को भी चपेट में ले लिया। एक मकान में दम्पती व उनका बेटा फंस गए। बड़ी मुश्किलों से लोगों ने पीछे के रास्ते खिड़की तोड़कर उन्हें बाहर निकाला। आग के कारण सड़क पर खड़े करीब आधा दर्जन वाहन भी जलकर खाक हो गए। करीब दो घंटे तक आग की ऐसी दहशत थी कि लोग सहम गए। पुलिस, अग्निशमन विभाग व सिविल डिफेंस के लोगों ने मिलकर के आग पर काबू पाया।
एक के बाद नौ दुकानों लगी आग

पुलिस के मुताबिक शाम करीब पांच बजे दिलीप तोतला के थिनर के गोदाम में आग लगी थी। तब वहां पर एक कर्मचारी काम कर रहा था। एक ड्रम में आग लग गई तो उसने उसे धक्का दे दिया। कैमिकल फैलने से आग दुकान में भी लग गई और सड़क पर भी पहुंच गई। वह आग-आग चिल्लाते हुए बाहर आ गया। कैमिकल के जलते हुए बहने के कारण आग आस-पास की दुकानों को भी चपेट में ले लिया।
25 मिनट का वो मंजर

जिस गोदाम में सबसे पहले आग लगी, उसके पास वाले मकान में सतीश गुप्ता अपनी पत्नी संगीता और बेटे रितेश के साथ रहते हैं। सतीश घर में बनी दुकान संभाल रहे थे। जैसे ही आग-आग सुनाई दिया वे बाहर आए। ऊपरी मंजिल से संगीता नीचे आई तो बाहर निकलने का रास्ता नजर नहीं आया। बिजली का स्वीच बंद करके वह ऊपर बेटे के पास चली गई। संगीता ने बताया कि दुकान में आग लगी, ऊपर धुआं आने लगा, हम मां-बेटे ने खिड़कियों के कांच तोड़े, ताकि दम ना घुटे। करीब 25 मिनट तक हम घर के अंदर मौत से लड़ रहे थे। आस-पास के लोगों ने पीछे के मकान से खिड़की तोड़ी और हमें बाहर निकाला।
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