अर्घ्य का क्या है महत्व
छठ पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है । पर्व पर पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाता है । कहा जाता है अर्घ्य देने से भगवान शिव और सूर्यनारायण की कृपा से उत्तम संतान का वरदान मिलता है । इसके अगले दिन उगते सूरत को अर्घ्य दिया जाता है । सुबह के समय जल देने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है ।सुबह के समय सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है । सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है और त्वचा के रोग कम होते हैं । भगवान सूर्य के अर्घ्यदान की विशेष महत्ता है । रोजाना सुबह-सुबह रक्त चंदनादि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि ताम्रमय पात्र (तांबे के पात्र में) जल भरकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि देनी चाहिए ।
छठ पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है । पर्व पर पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाता है । कहा जाता है अर्घ्य देने से भगवान शिव और सूर्यनारायण की कृपा से उत्तम संतान का वरदान मिलता है । इसके अगले दिन उगते सूरत को अर्घ्य दिया जाता है । सुबह के समय जल देने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है ।सुबह के समय सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है । सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है और त्वचा के रोग कम होते हैं । भगवान सूर्य के अर्घ्यदान की विशेष महत्ता है । रोजाना सुबह-सुबह रक्त चंदनादि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि ताम्रमय पात्र (तांबे के पात्र में) जल भरकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि देनी चाहिए ।
छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है । ये त्योहार खासतौर पर बिहार में मनाया जाता है । चार दिनों तक चलने वाला ये छठ पर्व सूर्य देवता को समर्पित है । इस पर्व में डूबते और उगते दोनों सूरज को अर्घ्य दिया जाता है.। चौथे दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
आपको बता दे महिलाए परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति में सुधार की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं । व्रत के दौरान भगवान सूर्य के उदय और अस्त होते समय अर्घ्य दिया जाता है । इसके साथ ही गंगा में डुबकी लगाकर ये त्योहार मनाया जाता है ।