कोरोना के चलते इस बार गलता तीर्थ सहित अन्य जलाशयों में सामूहिक आयोजन नहीं हुए। गलता तीर्थ में छठ का मेला नहीं भरा। बिहार समाज से जुड़े श्रद्धालुओं ने घरों में जलकुंड बनाकर उसमें खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बांस से बनी सूप में गेंहू के ठेकुआ, गन्ना, मूली, अदरक, गागर नीबू ,सेव, संतरा, नारियल, केला, अन्नास, सुथनी, सिंघाड़े, कच्चा, केराव, चावल, सिन्दूर आदि रखकर सूर्य देव अर्पित किया। महिलाओं ने ‘गाए काचह ही बांसके बहगीया बहगीया लचकते जाए…, मारबो रे सुगवा धनूषा से, सूगवा गिरे मुरझाए…, केलवा जो फरेला घउरसे… जैसे गीत गाए। इससे पहले घरों में रोशनी की गई।
बिहार समाज संगठन के महासचिव सुरेश पंडित ने बताया कि शहर में किशनबाग, माचवा, झोटवाड़ा, विश्वकर्मा, सीकर रोड, गणेश वाटिका, निवारू रोड, प्रताप नगर, वैशाली नगर, बनीपार्क, हसनपुरा, सोडाला, हीरापुरा, बडोदिया बस्ती आदि जगहों पर लोगों ने घरों में ही जलकुंड बनाए। छठ पूजा के चाैथे दिन शनिवार काे सूर्य की प्रथम किरण काे अर्घ्य दिया जाएगा। इसी के साथ छठ पूजा का समापन हाेगा।