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Chhath Puja 2020 नहाय खाय से शुरू हुआ महापर्व, सीता—कुंती—द्रोपदी ने भी रखा था सूर्य पूजा का यह व्रत

locationजयपुरPublished: Nov 18, 2020 07:58:42 am

Submitted by:

deepak deewan

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। मुख्यत: बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाए जानेवाले इस पर्व में छठी माईं एवं सूर्य देवता की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि यह चार दिनी पर्व 18 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। इस पर्व में व्रत रखने वाले लोग करीब 36 घंटों तक का कठिन उपवास रखते हैं।

Chhath Puja, Surya Puja Vidhi, Significance Of Chhath Puja

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जयपुर. कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। मुख्यत: बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाए जानेवाले इस पर्व में छठी माईं एवं सूर्य देवता की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि यह चार दिनी पर्व 18 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है। इस पर्व में व्रत रखने वाले लोग करीब 36 घंटों तक का कठिन उपवास रखते हैं।
छठ पर्व नहाय-खाय नामक रस्म से प्रारंभ होता है। इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और व्रत रखने वाले कद्दू की सब्जी, दाल-चावल आदि शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को छठ पूजा के दूसरे दिन खरना की रस्म करते हैं। इसमें परिचितों, रिश्तेदारों को प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाया जाता है। दिनभर उपवास रखकर शाम को खाना खाते हैं।
खरना के प्रसाद में गन्ने के रस एवं दूध—चावल की खीर, इसमें नमक और शक्कर का उपयोग नहीं किया जाता। कार्तिक मास की छष्ठी को मुख्य पूजा होती है। इसमें व्रतधारी शाम को किसी नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य के बाद सूर्य देव और छठी माईं को प्रसाद अर्पित किया जाता है।
कार्तिक मास की शुक्ल सप्तमी यानि छठ पूजा के अंतिम दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. यह रस्म उसी नदी या तालाब में जाकर निभाते हैं जहां उन्होंने बीती शाम अर्घ्य दिया था। इसके बाद व्रतधारक पीपल के पेड़ यानि ब्रम्ह बाबा की पूजा करते हैं। पूजा के बाद व्रतधारक प्रसाद ग्रहण कर पारण करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार मान्यता है कि लंका विजय के बाद माता सीता और श्रीराम ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को व्रत रखकर छठ पूजा की थी। महाभारत काल में कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा की थी। सूर्य पुत्र कर्ण भी छठ पूजा करते थे। वे कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते थे।
छठ पूजा 2020 मुहूर्त : इस बार 18 नवंबर को नहाय-खाय , 19 को खरना, 20 को मुख्य छठ पूजा यानि सांध्य अर्घ्य और 21 को सुबह सूर्य को अर्घ्य या उषा अर्घ्य दिया जाएगा।
20 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय :17:25 बजे
21 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय :06:48 बजे
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