बिना देरी के मिले पैकेज
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी का संक्रमण रोकने के लिए राज्यों ने अपने संसाधन झोंक दिए हैं। लॉकडाउन के कारण राजस्व में भारी कमी आने से अधिकतर राज्यों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में केन्द्र सरकार राज्यों को अनुदान के रूप में मदद पहुंचाने के लिए बड़े पैकेज की घोषणा करे। आरबीआई की ओर से वेज एण्ड मीन्स एडवांस में 60 प्रतिशत की वृद्धि तो की गई है, लेकिन इसे ब्याज मुक्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा राज्य सरकारों को उनके बकाया ऋण की आगामी किश्तों पर तीन माह का मोरेटोरियम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। राज्यों की उधार लेने की क्षमता भी तीन से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किये जाने की जरूरत है।
जरूरतमंदों को दी अनुग्रह राशि
वीसी में गहलोत ने बताया कि कोविड-19 के संक्रमण को शुरूआती दौर में ही रोकने के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र की घोषणा से पहले ही 22 मार्च को लॉकडाउन घोषित कर दिया था। साथ ही रेहडी, ठेला चालक, रिक्शा चालक, असहाय, घुमन्तू एवं रोज कमा कर खाने वाले लोगों के जीविकोपार्जन पर आए संकट को देखते हुए अनुग्रह राशि के रूप में ढाई-ढाई हजार रुपए जरूरतमंद लोगों के खाते में डाले गए ताकि उनकी जरूरतें पूरी हो सकें। जिन लोगों के बैंक खाते नहीं थे उन्हें कलेक्टर के माध्यम से नकद राशि दी गई। राज्य सरकार की ओर से जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री किट एवं भोजन के पैकेट भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
विधायक कोष की राशि को लेकर योजना
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार विधायक कोष का पैसा स्थगित करने के बजाय अगले दो साल तक कोविड-19 से लड़ने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर खर्च करने की योजना बना रही है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्यों को केन्द्र की ओर से मदद बिना किसी देरी के मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य में लैब बढ़ाने, आईसीयू बैड बढ़ाने एवं वेन्टीलेटर की संख्या बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। कोरोना संकट से निपटते हुए एक आपसी सहयोग की भावना भी विकसित हुई है।
प्रवासी मजदूरों को लेकर ये कहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में अटके प्रवासियों एवं वहां रह रहे राजस्थानियों को एक बार अपने घर जाने का मौका मिलना चाहिए। इस बारे में मैंने केन्द्रीय गृहमंत्री से फोन पर बात की है। गृहमंत्री ने इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी श्रमिक निराश, हताश हैं। वे एक बार अपने घर जाना चाहते हैं। ऐसे में उनके बारे में संवेदनशीलता के साथ केन्द्र सरकार द्वारा उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।
राशन का अधिक गेहूं जारी किया जाए
गहलोत ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के भंडार गेहूं से भरे हुए हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार ऐसे लोगों, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं और जिनके नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नहीं हैं, उन्हें भी गेहूं उपलब्ध करवाए। ताकि किसी को भी भूखा नहीं सोना पड़े। लॉकडाउन के दौरान बढ़ी हुई मांग को देखते हुए राज्यों को राशन का अधिक गेहूं जारी करने के प्रस्ताव पर भी सकारात्मक निर्णय केन्द्र सरकार ले।
केन्द्रीय टीम से जताई उम्मीद
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि केन्द्र सरकार की ओर से भेजी गई टीम अपनी रिपोर्ट में इन सभी बिन्दुओं को भी शामिल करेगी। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से अब तक किए गए प्रयासों को अपनी रिपोर्ट में शामिल करते हुए राज्य को केन्द्र से अनुदान एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराने में सकारात्मक भूमिका निभाएगी।
पांच सदस्यीय टीम में मौजूद रहे ये अधिकारी
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में केन्द्रीय टीम का नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय वित्तीय सेवा विभाग के अतिरिक्त सचिव संजीव कौशिक, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में निदेशक बिन्दु तिवारी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कम्युनिटी मेडीसिन के प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे, एनडीएमए में संयुक्त सलाहकारएसके जेना एवं केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के उप सचिव देवेन्द्र एस उइके शामिल रहे। वीसी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रोहित कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।