script20 माह से चल रही कवायद: फिर बस्ते से निकला जवाबदेही कानून, मुख्य सचिव ने बताई मजबूत कानून की जरूरत | chief secretary swaroop discussed proposed accountability act | Patrika News

20 माह से चल रही कवायद: फिर बस्ते से निकला जवाबदेही कानून, मुख्य सचिव ने बताई मजबूत कानून की जरूरत

locationजयपुरPublished: Sep 09, 2020 10:21:32 pm

Submitted by:

Pankaj Chaturvedi

— सरकारी ढर्रे में सुधार से जुडे इस कानून पर दर्जनभर विभागों के मुखियाओं से हुई चर्चा

20 माह से चल रही कवायद: फिर बस्ते से निकला जवाबदेही कानून, मुख्य सचिव ने बताई मजबूत कानून की जरूरत

20 माह से चल रही कवायद: फिर बस्ते से निकला जवाबदेही कानून, मुख्य सचिव ने बताई मजबूत कानून की जरूरत

जयपुर. कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद पिछले करीब डेढ़ साल से सिर्फ घोषणाओं, बैठकों में चर्चा का विषय रहे प्रस्तावित जवाबदेही कानून पर सरकार ने फिर माथापच्ची शुरु की है। मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने बुधवार को वित्त, गृह, राजस्व, प्रशासनिक सुधार, शहरी विकास समेत दर्जनभर विभागों के मुखियाओं की बैठक लेकर इसके प्रारूप पर चर्चा की।
मुख्य सचिव ने कहा कि आमजन को लोक सेवाएं मुहैया कराने के लिए नए प्रस्तावित कानून में निगरानी और पर्यवेक्षण को और पुख्ता करने की जरूरत है। प्रदेश में लोक सेवा गारंटी अधिनियम और सुनवाई का अधिकार कानून पहले बनाए गए थे। नए प्रस्तावित राजस्थान पारदर्शिता एवं जवाबदेही कानून में पूर्व के दोनों कानूनों की कमियों को दूर कर नए सिरे से विधेयक लाया जाएगा।
दरअसल, कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणापत्र में ऐसे कानून का वाद किया था। सत्ता में आने के बाद जुलाई, 2019 में आए बजट में सरकार ने नए कानून की घोषणा भी की थी। लेकिन डेढ साल बीतने के बाद भी यह अस्तित्व में नहीं आ पाया है।
बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य, ग्रामीण विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह, प्रमुख गृह सचिव अभय कुमार, प्रमुख सचिव, राजस्व आनन्द कुमार, नगरीय विकास के प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए सावंत, प्रशासनिक सुधार के प्रमुख शासन सचिव अश्विनी भगत, प्रमुख ऊर्जा सचिव अजिताभ शर्मा, जलदाय विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव, लोक सेवाएं निदेशक चित्रा गुप्ता एवं विधि सचिव हुकम सिंह राजपुरोहित मौजूद थे।
कमेटी दे चुकी सिफारिश

बजट घोषणा के बाद 2019 में जुलाई माह में सरकार ने कानून का प्रारूप तय करने के लिए रामलुभाया कमेटी गठित की थी। समिति ने अन्य राज्यों में मौजूद ऐसे कानूनों का अध्ययन और जुर्माने एवं वित्त संबंधी अन्य प्रावधानों पर अपनी रिपोर्ट लॉकडाउन से पहले सरकार को दी थी। लेकिन अब तक इस पर ठोस निर्णय नहीं हो सका था।
कानून में जनता का क्या फायदा?

सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, लोकसेवकों की कामकाज में लेटलतीफी पर अंकुश और आमजन को दफ्तरों के चक्कर काटने से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से ये कानून लाया जा रहा है। इसके जरिए जहां सूचना का अधिकार कानून को और ताकत दी जाएगी। वहीं, लोकसेवाओं की जनता तक पहुंच आसान बनाने और उनकी सुनवाई की गारंटी के अधिकारों को और मजबूत करने के लिए प्रावधान किए जाएंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो