बाल आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने यह जानकारी दी। इस बारे में आयोग में बैठक ली गई। मनन ने बताया कि इसी माह के अंत में एक सेमीनार आयोजित किया जाएगा। इसकी तैयारी चल रही है। इसमें हर उम्र के बच्चों की देखभाल व सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। इसमें पोक्सो अधिनियम के तहत सभी जिलों में कोर्ट खुलवाने, रेप करने वाले आरोपियों को सख्त सजा देने, बेटियों की सुरक्षा को लेकर स्कूल व घर एवं अन्य सभी सार्वजनिक जगहों पर मॉनिटरिंग आदि पर बात होगी।
तीन साल में बच्चों से दुष्कर्म के 3,897 मामले दर्ज हुए
इनमें कई बच्चियों की उम्र तो छह साल से भी कम थी
शारीरिक शोषण के 1877 मामले
और हत्या के 139 मामले दर्ज किए गए
ये हैं आंकड़े— साल केस गिरफ्तार चार्जशीट सजा 2016 3656 2822 1796 535 2015 3644 2766 1729 574 2014 3759 2848 1830 524 2013 3285 2783 1800 434 2012 2049 1807 1118 408
वर्तमान हालात—
यदि वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो प्रदेश में पॉक्सो अधिनियम के अन्तर्गत सुनवाई के लिए केवल एक ही न्यायलय है। ऐसी स्थिती में संबधित जिले के जिला एंव सत्र न्यायधीश ही पॉक्सो अधिनियम के अन्तर्गत सुनवाई कर रहे है। जिन पर पहले से ही अधिक भार रहता है। ऐसे में इस तरह के मामलों में देरी होती है। वहीं लोगों में भी पोक्सो एक्ट के प्रति जागरूकता कम है। राज्य बाल संरक्षण आयोग जल्द ही पोक्सो के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सेमीनार का आयोजन करने जा रहा है।
आंकड़ों से साफ है कि एक ओर जहां ये घृणित कृत्य साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं वहीं अपराधियों को सजा का आंकड़ा वारदातों की संख्या के मुकाबले सात फीसदी से भी कम है..सबसे बड़ी बात तो यह है कि ये आंकड़े तो दर्ज मामलों के हैं, ऐसे कितने मामले होंगे जो दर्ज होने से पहले ही किसी न किसी कारण से दबा दिए जाते हैं? समाज को अब इस बारे में सोचना होगा और आगे बढ़ कर इस बुराई के खात्मे के लिए कुछ न कुछ तो करना होगा..