शिशु को छह माह तक स्तनपान करवाएं
जन्म के एक घंटे बाद ही शिशु को स्तनपान करवाना चाहिए। छह माह तक शिशु को स्तनपान करवाना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। आप दो साल तक बच्चे को स्तनपान करवा सकती हैं। छह माह तक शिशु के आहार में किसी भी रूप में नमक और शक्कर को भी शामिल न करें।
बच्चों को ताजा फल और सब्जियां खिलाएं
बच्चे के आहार में फल, सब्जियां, दालें, नट्स, सभी तरह के अनाज और डेयरी प्रोडक्ट को शमिल करना चाहिए। एक कप मिक्स्ड फ्रूट खिलाएं। ताजा फल और सब्जियों नियमित खिलाएं। सब्जियों को बहुत अधिक पकाकर न खिलाएं, इससे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। दिन में तीन बार दूध अवश्य पिलाएं।
पर्याप्त पानी पिलाएं
बच्चे को ८-१० गिलास पानी पिलाएं। पानी शरीर के तापमान को नियमित करने के साथ ही अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पानी के साथ ही फल और सब्जियों का जूस पिलाएं। उन फलों को ज्यादा खिलाएं, जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो।
हैल्दी फैट शामिल करें
बच्चों के आहार में सैचुरेटेड फैट्स की जगह अनसैचुरेट फैट्स को शामिल करें। इसमें एवोकाडो, नट्स, सोया, ऑलिव ऑयल, सूर्यमुखी के बीज आदि को आहार में शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड कम खिलाएं, क्योंकि इसमें नमक और शुगर की मात्रा ज्यादा होती हैं।
घर पर बना ताजा खाना ही खिलाएं
बच्चों को स्वस्थ और पौष्टिक आहार मिले, इसके लिए जरूरी है उन्हें घर पर तैयार किया हुआ खाना ही खिलाएं। इसमें पोषक तत्त्वों के साथ ही शुगर और सॉल्ट की मात्रा भी सही होती है। वहीं यदि आप बच्चों को प्रोसेस्ड फूड अधिक खिलाएंगी तो इससे न केवल बच्चे के शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी होगी, बल्कि मोटापा बढऩे लगता है। इतना ही नहीं, आगे चलकर क्रॉनिक रोग जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, स्ट्रोक आदि की आशंका बढ़ जाती है।
बच्चे के आहार में शुगर और सॉल्ट सीमित रखें
जब भी बच्चे के लिए भोजन तैयार करें तो उसमें नमक की मात्रा का ध्यान रखें। दिनभर में एक छोटा चम्मच यानी ४ ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खिलाएं। बच्चों को सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा नहीं दें। इनमें शुगर की मात्रा ज्यादा होती हैं। बाजार में मिलने वाले फलों का रस, योगर्ट ड्रिंक्स, फ्लेवर्ड मिल्क आदि न पिलाएं। इनमें कैलोरी की मात्रा भी ज्यादा होती है। इसी तरह कुकीज, केक, चॉकलेट की जगह बच्चे को अलग-अलग फल खिलाने चाहिए।