बेरोजगारी बहुत ज्यादा इसी वजह से बाल मजदूरी अधिक बढ रही है। इससे बच्चों का बचपन खत्म हो जाता है और उनका शोषण बढ़ता है। कार्यशाला में बालश्रम पर की जा रही चर्चा में जयपुर के अधिकांश पुलिस थानों से बाल कल्याण अधिकारी भी उपस्थित रहे। कार्यशाला में मुख्य अतिथी रहे श्रम और नियोजन विभाग मंत्री जसवंत यादव ने कहा की बालश्रम हमारे समाज पर कलंक की तरह है इसे रोकने के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है। जसवंत यादव ने कहा की सभी विभागों के सहयोग से ही बालश्रम रोका जा सकता है। जिला कलेक्टरों को जिम्मेदारी पूर्वक बालश्रम बन्द करवाने का प्रयास करना चाहिए। विभाग हर स्तर पर बालश्रम रोकथाम के लिए तैयार है।
जयपुर के दुर्गापुरा स्थित एक नीजी होटल में आयोजित इस कार्यशाला में राज्य महिला आयोग अध्यक्ष सुमन शर्मा ने भी शिरकत की। कार्यशाला की अध्यक्षता बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने की। इस दौरान राज्य बाल आयोग की सदस्य सीमा जोशी, सदस्य साधना सिंह , सदस्य सचिव वी सरवन कुमार आईएएस,डीसीपी नार्थ जयपुर सतेंद्र सिंह आईपीएस, एएचटीयू अधीक्षक प्रीति जैन आईपीएस, श्रम विभाग के आयुक्त भी मौजूद रहे।
बाल श्रम या बाल मजदूरी क्या है
बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, ये एक वैश्विक घटना है। जहां तक भारत का संबंध है, ये मुद्दा बहुत ही पेचीदा है क्योंकि भारत में बच्चे पुराने समय से ही अपना माता-पिता के साथ खेतों में और अन्य प्रारम्भिक कार्यों में मदद कराते हैं। एक इससे ही संबंधित अन्य अवधारणा जिसकी इस समय व्याख्या करने की जरुरत है, वो है बंधुआ मजदूरी, जो शोषण का सबसे सामान्य रुप है। बंधुआ मजदूरी का अर्थ, माता-पिता द्वारा अत्यधिक ब्याज की दरों की अदायेगी के कारण, कर्ज के भुगतान के लिये बच्चों को मजदूरों के रुप में कार्य करने के लिये मजबूर करना है।
बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, ये एक वैश्विक घटना है। जहां तक भारत का संबंध है, ये मुद्दा बहुत ही पेचीदा है क्योंकि भारत में बच्चे पुराने समय से ही अपना माता-पिता के साथ खेतों में और अन्य प्रारम्भिक कार्यों में मदद कराते हैं। एक इससे ही संबंधित अन्य अवधारणा जिसकी इस समय व्याख्या करने की जरुरत है, वो है बंधुआ मजदूरी, जो शोषण का सबसे सामान्य रुप है। बंधुआ मजदूरी का अर्थ, माता-पिता द्वारा अत्यधिक ब्याज की दरों की अदायेगी के कारण, कर्ज के भुगतान के लिये बच्चों को मजदूरों के रुप में कार्य करने के लिये मजबूर करना है।