खुद को कम आंकते
अगर छोटे बच्चे का स्वभाव अधिक शर्मीला है तो भविष्य में उसके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। कई अध्ययनों से सामने आया कि इन बच्चों में एंजाइटी की आशंका ज्यादा होती है। वे दूसरे बच्चों और लोगों से कम मिल-जुल पाते हैं। उन्हें लोगों के सामने बोलने में परेशानी होती है। बार-बार दबाव बनाने पर वे हकलाने लगते हैं। आत्मविश्वास में भी कमी आती है। वे खुद को दूसरों से कमतर आंकते हैं। कम उम्र में यह व्यवहार बदला जा सकता है।
ये हो सकते हैं कारण
अमरीका के एबनॉर्मल चाइल्ड साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बच्चों में शर्मीलेपन का संबंध दिमाग में चल रही जैविक क्रियाओं के अलावा आनुवांशिक कारण, आसपास के वातावरण, असुरक्षा की भावना और माता-पिता के व्यवहार से हो सकता है।
हर किसी के सामने बोलने का दबाव न बनाएं
बच्चों के शर्मीले स्वभाव के पीछे सिलेक्टिव म्यूटिज्म भी एक वजह हो सकती है, जो एक सोशल एंजाइटी डिसऑर्डर है। इस स्थिति में बच्चा अनजान लोगों या किसी विशेष परिस्थिति में बोलने से डरता है। आमतौर पर इस समस्या का पता 4-5 साल की उम्र में या बच्चे के स्कूल जाने पर चलता है।
पेडियाट्रिशियन एवं पेडियाट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, जयपुर