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नहीं थम रही बच्चों और टीचरों की लड़ाई, ऐसे में कैसे होगी पढ़ाई…

locationजयपुरPublished: May 22, 2018 08:54:41 pm

Submitted by:

chhavi avasthi

राज्य बाल आयोग में स्कूलों के खिलाफ आ रही शिकायतों का सिलसिला जारी..

bal ayog

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बाल संरक्षण आयोग ने एसएमएस स्कूल की शिक्षिका दीपशिता को सम्मन जारी कर 23 मई को आयोग में तलब किया है। दीपशिता पर स्कूल में पढ़ने वाली एक पूर्व छात्रा ने मानसिक रूप से प्रताडित करने की शिकायत की है।
यह है मामला
एसएमएस स्कूल की पूर्व छात्रा की शिकायत है कि स्कूल की अध्यापिका दीपशिता उसे लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित करती रहती थी। इसी कारण उसने स्कूल भी छोड़ दिया लेकिन इसके बाद वो डिप्रेशन में आ गई थी लेकिन जैसे ही उसे और उसके पिता ने अखबारों में स्कूलों के प्रताडना के मामलों के बारे में पढ़ा तो न्याय की उम्मीद में उन्होंने भी हिम्मत कर बाल संरक्षण आयोग का रूख कर लिया और आयोग में शिकायत कर दी।
वहीं, एसएमएस स्कूल के ही एक मामले में आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया है कि वो स्कूल को छात्रा का दुबारा से परीक्षा टेस्ट करवाने का निर्देश दें। टेस्ट में प्रश्न सिलेबस से बाहर के नहीं होने चाहिए । टेस्ट की एक कॉपी की आयोग और एक स्कूल प्रशासन के पास रहेगी जो इसकी जांच करेगी जिससे कि छात्रा के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होकर उचित न्याय हो। दरअसल छात्रा ने स्कूल पर जबरदस्ती फेल करने का आरोप लगाया था।
इधर बाल आयोग में स्कूलों के खिलाफ आ रही शिकायतों की संख्या 261 के पार पहुंच गई है। बीते एक माह में इस तरह की शिकायतें बढी है। आयोग में आ रही शिकायतों में शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों से शिकायतें आ रही है। जिसमें सबसे ज्यादा मामले बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करने और ट्यूशन के लिए दबाव बनाने के है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों से आ रही शिकायतों में स्कूलों की अव्यवस्था के मामले अधिक है।
राज्य बाल संरक्षण आयोग सदस्य और आरटीई प्रभारी एस पी सिंह ने बताया कि आयोग स्कूलों के खिलाफ आ रही सभी शिकायतों को बहुत गंभीरता से ले रहा है। इसी के चलते निहारिका मामले में बच्ची के के दुबारा से टेस्ट कराने का आदेश दे दिया गया है।
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इनका कहना है –
स्कूलों से आ रहे मामले आरटीई से ज्यादा बच्चों को स्कूलों में सुरक्षित माहौल दिलाने के आ रहे है। इसलिए इस तरह के मामलों के लिए एक विशेष कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी हर मसले को गंभीरतापूर्वक अध्ययन कर रही है। कुछ मामले ऐसे भी है जिनकी सत्यता जांचना जरूरी है— मनन चतुर्वेदी, अध्यक्ष राज्य बाल संरक्षण आयोग
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