केस १
अनामिका (परिवर्तित नाम ) की आयु ५ साल की है, लेकिन उसमें अपनी उम्र से गुस्सा इतना ज्यादा है, कि गुस्से में वो खुद को चोट पहुचानें लगती है। वह ऐसे इसलिए करती है, क्योंकि उसका फेवरेट कार्टून कैरेक्टर ऐसा करता है।
अनामिका (परिवर्तित नाम ) की आयु ५ साल की है, लेकिन उसमें अपनी उम्र से गुस्सा इतना ज्यादा है, कि गुस्से में वो खुद को चोट पहुचानें लगती है। वह ऐसे इसलिए करती है, क्योंकि उसका फेवरेट कार्टून कैरेक्टर ऐसा करता है।
केस-२
अंकित (परिवर्तित नाम)७ वर्ष का है उसका व्यवहार काफी उग्र हो चुका है। वह आय दिन दूसरों बच्चों से लड़ाई करता रहता है और कहता है कि मैं निन्जा हथौड़ी की तरह लड़ता हूं।
अंकित (परिवर्तित नाम)७ वर्ष का है उसका व्यवहार काफी उग्र हो चुका है। वह आय दिन दूसरों बच्चों से लड़ाई करता रहता है और कहता है कि मैं निन्जा हथौड़ी की तरह लड़ता हूं।
हो रही हैल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स
-बच्चों में ओबेसिटी
– नजर कमजोर होना
– साइकोलोजिकल प्रॉब्लम होना
-व्यवाहर में परिवर्तन चिड़चिड़ापन, और गुस्सा आना।
-असामाजिक होना पेरेन्ट्स भी हैं जिम्मेदार
घर से बाहर खेलने नहीं जाने देना या किसी काम को पूरा करने के लिए बच्चों को कार्टून चैनल लगाकर बैठा देना हैं। बार-बार ऐसा करने से बच्चों को भी आदत लग जाती है। खाने-पीने में अनाकानी करने वाले बच्चों को छोटा भीम की तरह स्ट्रॉन्ग बनने का प्रलोभन दिया जाता है। जाने-अनजाने पैरेंट्स खुद बच्चों में कार्टून कैरेक्टर्स के लिए रुचि पैदा करते है।
-बच्चों में ओबेसिटी
– नजर कमजोर होना
– साइकोलोजिकल प्रॉब्लम होना
-व्यवाहर में परिवर्तन चिड़चिड़ापन, और गुस्सा आना।
-असामाजिक होना पेरेन्ट्स भी हैं जिम्मेदार
घर से बाहर खेलने नहीं जाने देना या किसी काम को पूरा करने के लिए बच्चों को कार्टून चैनल लगाकर बैठा देना हैं। बार-बार ऐसा करने से बच्चों को भी आदत लग जाती है। खाने-पीने में अनाकानी करने वाले बच्चों को छोटा भीम की तरह स्ट्रॉन्ग बनने का प्रलोभन दिया जाता है। जाने-अनजाने पैरेंट्स खुद बच्चों में कार्टून कैरेक्टर्स के लिए रुचि पैदा करते है।
क्या कहते हैं एक्सपट्र्स
एक्सपट्र्स इन प्रॉब्लम्स को तीन कैटेगरी में रख रहे हैं- पहला टीवी का एडिक्शन, दूसरा व्यवहार संबंधी जैसे पढ़ाई में मन न लगना, तीसरा उग्रता जैसे छोटे भीम या निन्जा हथौड़ी की तरह लडऩा। वर्किंग और होममेकर्स दोनों ही ग्रुप के पेरेन्ट्स ऐसी समस्या लेकर उनके पास आ रहे हैं, इनमें वर्किंग पेरेन्ट्स की संख्या ज्यादा है,क्योंकि उनके घरों में बच्चों के लिए टीवी देखना ज्यादा आसान होता है।
एक्सपट्र्स इन प्रॉब्लम्स को तीन कैटेगरी में रख रहे हैं- पहला टीवी का एडिक्शन, दूसरा व्यवहार संबंधी जैसे पढ़ाई में मन न लगना, तीसरा उग्रता जैसे छोटे भीम या निन्जा हथौड़ी की तरह लडऩा। वर्किंग और होममेकर्स दोनों ही ग्रुप के पेरेन्ट्स ऐसी समस्या लेकर उनके पास आ रहे हैं, इनमें वर्किंग पेरेन्ट्स की संख्या ज्यादा है,क्योंकि उनके घरों में बच्चों के लिए टीवी देखना ज्यादा आसान होता है।
ऐसे करें बच्चों पर कंट्रोल
-टीवी देखने के लिए बच्चों का समय तय करें। एक घंटे में से आधा घंटा कार्टून और आधा घंटा कोई और दूसरा प्रोग्राम देख सकते हैं।
-अचानक समय कम करने की बजाय धीरे-धीरे टाइम लिमिट घटाऐं।
-बच्चों के साथ गेम्स खेलें। म्यूजियम, जू और आउटिंग पर लें जाएं।
-कोशिश करें कि बच्चों का खेल के मैदान से रिश्ता कायम रहे। वह दौड़े-भागे, शारीरिक मेहनत करें। इससे उसकी शारीरिक व मानसिक क्षमता भी बढ़ती है।
-टीवी देखने के लिए बच्चों का समय तय करें। एक घंटे में से आधा घंटा कार्टून और आधा घंटा कोई और दूसरा प्रोग्राम देख सकते हैं।
-अचानक समय कम करने की बजाय धीरे-धीरे टाइम लिमिट घटाऐं।
-बच्चों के साथ गेम्स खेलें। म्यूजियम, जू और आउटिंग पर लें जाएं।
-कोशिश करें कि बच्चों का खेल के मैदान से रिश्ता कायम रहे। वह दौड़े-भागे, शारीरिक मेहनत करें। इससे उसकी शारीरिक व मानसिक क्षमता भी बढ़ती है।
वर्जन
छोटे बच्चों का दिमाग परिपक नहीं होता है, वो जो देखते उसे अपना लेते है। इसलिए बच्चों को ज्यादा टीवी देखने से रोकना चाहिए और पैरेंस को भी बच्चों को ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर अनिता गौतम, मनोचिकित्सक
छोटे बच्चों का दिमाग परिपक नहीं होता है, वो जो देखते उसे अपना लेते है। इसलिए बच्चों को ज्यादा टीवी देखने से रोकना चाहिए और पैरेंस को भी बच्चों को ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर अनिता गौतम, मनोचिकित्सक