वै ज्ञानिकों ने बताया, शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो ट्यूमर के प्रभाव से बच्चों को आंख, कान और दिमागी संतुलन की समस्या आती है। उन्हें कम सुनाई-दिखाई देता है। यह पूरी तरह से बच्चों को अपाहिज बना देता है।
सर्जरी होती है असंभव
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बीमारी के लक्षण जन्मजात होते हैं। हालांकि उनके पूरी तरह विकसित होने पर ही यह पकड़ में आता है। बच्चों के मस्तिष्क के गहरे भाग में ट्यूमर विकसित होने के कारण डॉक्टरों के लिए सर्जरी करना असंभव होता है। रेडियोथेरेपी से भी इसका इलाज सफल नहीं हो पाया है।
बेटी खो बनाई चैरिटी
इस शोध को आर्थिक प्रोत्साहन देने में अमांडा और रे मिफसूद नामक दंपति का विशेष योगदान है। दरअसल, अमांडा और रे ने 2011 में 6 साल की बेटी अब्बी को डीआइपीजी के कारण ही खो दिया था। दोनों ने तय किया कि वे इसके लिए काम करेंगे। दोनों ने अब्बी आर्मी बनाई व अब बीमारी से लडऩे के लिए फंड जुटा रहे हैं।