scriptपढ़ने के लिए रोज मौत के मुंह से गुजर रहे बच्चें | Children going through death everyday for reading | Patrika News

पढ़ने के लिए रोज मौत के मुंह से गुजर रहे बच्चें

locationजयपुरPublished: Jul 14, 2019 10:00:36 am

Submitted by:

HIMANSHU SHARMA

राजधानी जयपुर(Capital city of Jaipur) से मात्र 15 किलोमीटर दूर शीशावास गांव की कहानी, रोज पहाड़ पर चढ़कर पांच किलोमीटर का सफर तय कर पहुंच रहे स्कूल
 

Children going through death everyday for reading

Children going through death everyday for reading

जयपुर
यह कहानी है राजधानी जयपुर से मात्र 15 किलोमीटर दूर एक गांव की। जहां स्कूल(Goverment schools) में शिक्षा(Education) प्राप्त करने जाने के लिए नौनिहालों को रोजाना मौत के मुंह(Death’s face) से गुजरना पड़ता हैं। जी हां हम जयपुर जैसे इलाके की ही बात कर रहे हैं जहां आमेर के शीशा वास गांव के बच्चें यहां स्थित घने जंगल से होते हुए रोज पहाड़ पर चढ़कर पांच किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल पहुंचते है। हालात यह है कि अभिभावकों से लेकर गांव के हर इंसान को रोजाना चिंता जब तक चिंता बनी रहती है तब तक उनके बच्चें वापस घर तक नहीं पहुंच तो। बच्चों से लेकर सबको भय रहता है कि कही जंगली जानवर नौनिहालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा दे। कई बार तो हाल यह होता है कि बच्चों को पैंथर जैसे जानवर रास्ते में दिख जाते है लेकिन बच्चें अपनी सूझबूझ से घर पहुंच जाते ही है। इस भयावह स्थिति की कहानी जान आपके भी भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। बच्चें जिस तरह रोज सफर तय करते है और आमेर गांधी चौक स्थित स्कूल तक पहुंचते है तो इस दौरान उन्हें लैपर्ड,सियार से लेकर जंगली श्वान तक का सामना करना पड़ता हैं। यहीं नहीं घने जंगल में चढ़ाई कर उतरना भी किसी खतरे से कम नहीं है। इस दौरान लगा कि स्कूल का यह सफर बच्चों के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण है। इस सफर को तय करने में इनको करीब 2 घंटे लगते हैं थकान के कारण बच्चोंं को रास्ते में आराम तक करना पड़ता हैं। बच्चों को स्कूल समय पर पहुंचने के लिए एक घंटे पहले घर से निकलना पड़ता है तब जाकर वो सही समय पर स्कूल में पहुंच पाते हैं।
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